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शरशीर्ष लिपि
फलक VI में इस शैली के दो नमूने दिये गए हैं । इनमें पहला नमूना (स्त. XI) कैंब्रिज हस्तलिखित ग्रंथ सं. 1691 से लिया गया है ।282 यह सन् 1179 ई. का है । इस नमूने के अधिकांश अक्षरों में होरियूजी ताड़पत्र और कैंब्रिज हस्त. ग्रंथ सं. 1049 (स्त. V-VII) के रूप हैं । परिवर्तन भी हैं पर अत्यल्प । इतने बाद के प्रलेख में इतने परिवर्तन स्वाभाविक भी हैं । यदि हुकों पर ध्यान न भी दें, तो भी इ. ई, ए और ऐ में बंगाली विशिष्टताएं दीखती हैं। यही बातें सामान्यतया फल. VI, स्त. XII के दूसरे नमूने पर भी लागू है । यह नमूना ब्रिटिश म्यूजियम हस्त. ग्रंथ सं. 1439 से लिया गया है जो सन् 1286 का है ।283 किंतु इस लिपि में ए, ण, ध, और श में बंगाली प्रभाव दीखता है । फल. V, 39, XVHI, XIX के संक्रांतिकालीन रूपों से भी तुलना कीजिए । इसका इ काफी पुरागत है ।281
नेपाल और तिब्बत ने पूर्वी भारत की दूसरी अनेक-अधिकांश में आलंकारिक लिपियाँ-सुरक्षित रखी हैं ।285 बी. हाजसन (एशियाटिक रिसचेंज, जिल्द 16) और शरत् चन्द्र दास ने (ज. ए. सो. बं. जिल्द 57, फल. 1 से 7) अपने हाथ से बनाकर इनकी तालिकाएं प्रस्तुत की हैं। किंतु अभी तक इनकी कोई विश्वस्त सामग्री उपलब्ध नहीं हो सकी है जिसके सहारे इन लिपियों का पुरालिपिक परीक्षण किया जा सके।
इ. शर-शीर्ष लिपि : फल. VI फल. VI, स्त. XVIII, XIX की शर-शीर्ष लिपि की खोज286 श्री बेंडेल ने की है । वे इसकी पहचान वेरूनी की भैक्षुको लिपि से करने के पक्ष में
282. वही, फल. 3, 4; बलिन ओरियंटल कांग्रेस इंडियन सेक्शन फल. 2,1.
283. Pal. Soc., Or. Series, फल. 32; बलिन ओरियंटल कांग्रेस, इंडियन सेक्शन, फल. 2, 2, 3.
284. नेपाली हुक वाले अक्षरों के हस्तलिखित ग्रंथों की प्रतिकृतियों के लिए देखि. बेंडेल, कै. सं. बु. म. ने. फल. 3; Pal. Soc., Or. Series फल. 43, 57; कॉवेल और एग्गेलिंग, कै. बु. म. रा. ए. सो. ज. रा. ए. सो. 1876, पृ. 1 तथा आगे; वर्णमाला के लिए देखि. वेंडेल, वही, फल. 4; 7. Klatt. de CCC Canakyal sententiis. 1 285. मिला. आलंकारिक अक्षरों पर फ्लीट की टिप्पणी, इं. ऐ. XV, 364.
286. सेवेंथ ओरियंटल कांग्रेस आर्यन सेक्शन, पृ. 111 तथा आगे; और टेंथ ओरियंटल कांग्रेस, खण्ड II, पृ. 151. तथा आगे ।
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