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दुर्भिक्ष। मृत्युका ठीक अनुमान नहीं किया जा सका, परन्तु भयानक दुर्भिक्ष था। (५) बम्बईका अकाल सन् १८०३ ।
बम्बई सरकारने दूरसे अन्न मँगा कर एक नियत भाव पर सर्वसाधारणको दिया और बहुत लोगोंकी Relief work द्वारा सहायता की । मृत्यु संख्या ठीक ठीक मालूम नहीं हुई।
(६) उत्तर भारतका दुर्भिक्ष सन् १८०४।'
सरकारने खूब सहायता दी। बहुतसी मालगुजारी मुआफ कर दी। काश्तकारोंको ऋण दिया और प्रयाग, कानपुर, बनारस आदि नगरोंको जो अन्न गया उस पर कुछ Bounty या एक प्रकारको सहायता दी।
(७) मद्रासका अकाल सन् १८०७ ।
घोर दुर्भिक्ष था। सरकारने सहायता की, अन्न खरीद कर सस्ते भाव पर बेचा और लोगोंके प्राण बचाने में सहायता दी। (८) बम्बई का अकाल सन् १८२३ ।
सरकारने अन्न पर कुछ Bounty या एक प्रकारकी सहायता दी।
(९) मद्रासका अकाल सन् १८२३ । सरकारने थोडीसी सहायता की। (१०) मद्रासका अकाल सन् १८३३ ।
गंटूर जिले के ५ लाख निवासियोंमेंसे प्रायः दो लाख दुर्भिक्षकी भेट हुए । मद्रास और नीलोरकी सड़कों पर दुर्भिक्षसे मरे मनुष्यों के शव पड़े रहते थे।
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