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दुर्भिक्ष ।
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मकालोंसे कितनी हानि होती है इसका अनुमान करनेके लिये सन् १८७७-७८ के एक अकालकी हानिका हिसाब नीचे दिया है
सरकारी खर्चमें हानि, ८०,००, ००० पाउण्ड मालगुजारीमें हानि, २५, २०, ००० खेतीकी हानि,
३, ७८, ००, नशेकी वस्तुओंके टेक्समें हानि, २, चुंगीकी आमदनीमें घाटा, नमकके टेक्समें घटी, जेवरोंकी हानि,
९८, ८०, खानेकी चीजोंकी महँगीसे १, ३०,००,००० पशुओंकी हानि.
१७, ४९, ५०० , मजदूरोंको हानि,
२७, ५०, ००० " कर्ज देनेवालोंकी हानि व्यापारियोंकी हानि १०,००,०००
योग ८, २७, ३६, ५०० पाउण्ड इस तरह एक सालके अकालसे ८ करोड़, २७ लाख, ३६ "हजार, ५०० पौंड अर्थात् एक अरब, चौबीस करोड़, दस लाख,सैंतालीस हजार, पाचसौ रुपयेकी हानि हुई, और उसके साथ ही ५० लाख आदमियोंकी हानि हुई । इस हानिका मूल्य क्या रखा जाय, इसका उत्तर पाठक ही दें! दुनियाके किसी देश में न तो इतने लोग भूखों मरते हैं, न दुर्भिक्ष ही पड़ते हैं । जर्मनी, फ्रान्स, अमरीका बादि देश तो दुर्भिक्षका नाम ही भूल गये। पर दरिद्र भारत, जिसे
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