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कुछ और भी।
२.१ dung-hills and stagnant pools, the water of which latter is not seldom his only drink". __ अर्थात्-भारतवासी मिट्टीक बने मकानोंमें रहते हैं। मिट्टीके मकान प्लेग फैलाने में सहायक हैं । इन गरीबोंको सिवाय मिट्टीके दूसरी वस्तु ही मकान बनानेको प्राप्त नहीं होती। ऐसी झोंपड़ियोंमें रहते हैं जहाँ चारों ओर गोबरके ढेर, पास ही गन्दे पानीकी तलैया--जिसका पानी वे प्रायः पीते हैं--भी है ।" __ सुख कौन नहीं चाहता ? क्या झोपड़ीका रहनेवाला चूनेके मकानोंमें रहना पसन्द नहीं करता ? या उसे अच्छे, स्वच्छ, मकानमें रहना नहीं आता ? वह सब कुछ चाहता है, परन्तु करे क्या ? दिन प्रति दिन अकालोंका सामना करते करते उसे अपने जीवनकी आशा भी नहीं रही। पेट भर खानेको अन्न नहीं, फिर रहनेके लिये उत्तम मकान कहासे लावे ! __ + + + + +
प्रथम तो भारतवासी विदेश-गमन करना बिलकुल पसन्द ही नहीं करते । दूसरे भारतवासियोंको अन्य देशोंने इस नीच श्रेणीके मनुष्य मान रखा है कि वे अपने देशोंमें हमें घुसने देना नहीं चाहते,और जो वहाँ पहुँच चुके हैं उन्हें जिस तिस प्रकारसे अपने देशसे बाहर करनेके अनेक उपाय करते हैं। वहाँ भारतवासियों के लिये कड़ेसे कड़े अन्याय-पूर्ण कानून बनते हैं और कानूनोंका भी खंडन करनेवाले अनेक अत्याचार उनके साथ होते हैं । यही इस विषय पर मैं अधिक लिखना नहीं चाहता। तथापि भारतवासियोंकी विदेशोंमें बड़ा ही मिट्टी पलीद है यह मैं बतला देना चाहता हूँ। विदेशी लोग हम
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