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भारतमें दुर्भिक्ष ।
यह द्वीप हिन्द महासागर में है । कुमारी अन्तरीपसे इसकी दूरी लगभग दो हजार मील है । सन् १५०५ तक तो इसमें केवल बन्दर और चूहे ही रहते थे । पुर्तगालवाले जा बसे थे, मगर उन्हें सन् १७१२ में चूहोंसे तंग आकर भागना पड़ा था ।
लगभग १०० बर्षो से मोरीशस अँगरेजोंके अधिकार में है। जब सन् १८३२ ई० में गुलामी उठा देनेकी बात चली थी, तब ईखके व्यवसायी मोरीशस निवासी फरासीसियोंने अँगरेजों से कहा था कि - "गुलामीकी प्रथा उठा देनेसे दमारा बाणिज्य-व्यवसाय नष्ट हो जायगा, गुलामोंसे तो हम अपना सारा काम कराते हैं ।" इस पर अँगर जोंने उन्हें वचन दिया कि हम हिन्दुस्तान से तुम्हारे लिये कुली भेजेंगे । तबसे अर्थात् सन् १८३४ ई० से फरासीसियों के खेतों पर काम करनेके लिये हिदुस्तान से कुली भेजे जाने लगे थे ।
मोरीशस में जो जो अत्याचार भारतीयों पर हुए उनका वर्णन अक्षरशः करना मानों पुस्तककी पृष्ठ संख्या बढ़ाना है, तो भी हम कुछ अत्याचारोंका वर्णन करेंगे। मोरीशसके गोरोंने भारतीयोंको अधिक परतंत्र बनानेके नियम बनाये । अँगरेजी विश्वकोष के नवें संस्करणके ३३६ वें पृष्टमें लिखा है-
“ The case of Mauritius was more serious: It had long been suspected that the colony had been indulging in a course of legislation the tendency of which says Mr. Geoghegam, the under-Secrety th the department of agriculture in the Government of India, was
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