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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विदेशी शक्कर। १४५ कमजोरी ही सारी बीमारियोंकी जड़ है। हिन्दुस्तान जैसे गर्म मुल्कमें नैशकरकी खाँडके सिवाय हर किस्मकी शक्कर मुजिरे-सहेत पड़ेगी। इसी वास्ते हुकमाय हिन्दने जो हजारहा सालके तजर्वे के बाद यहाँकी आबोहवासे वाकिफ़ हो गये थे, लहसन, पियाज़ और गरम चीजोंका इस्तेमाल मना किया है; क्योंकि ये खूनको गैर मामूली गरमी पहुँचाते हैं।" अखबार " हितकारी " के २२ मई सन् १९०३ ई० के अंकमें लिखा है कि-" मगरबी सौदागरोंने सुफैद खाँडको खूबसूरतीका खिताब देकर हिन्दुस्तानी व्यौपारियोंको बहममें डाल रक्खा है। चीनीका उम्दा या खुश जायका होना उसकी सुफैदी पर इनहसार नहीं रखता, लेकिन हिन्दुस्तानमें इस बातको कौन सोचे । जो फैशन अलहसल्लाम कहे सोई सबको मंजूर । चन्द साल हुए कि केम्ब्रि जसे मिस मूलर साहिबा बी० ए० अमृतसरमें आई। इनको किसीने देशी चीनी चायके लिये लेदी। वह उसके जायकेसे ऐसी खुश हुई कि उन्होंने देशी चीनीसे मिठाई बनवा कर अपनो वाल्दा साहिबको लण्डनमें भिजवाई और जब तक पंजाबमें रहीं तब तक देशी चीनीकी लज्जतकी तारीफ करती रहीं। हर एक इनसान जाँच सकता है कि देशी चीनी बनिस्बत विलायती चीनीके जियादह मिठास रखती है, लेकिन जब तक मगरिबसे सनद न आये इस बातको कौन जाने । तजुरबा बतलाता है कि जहा सेरभर दूधमें देशी खाँड एक छटॅाक डालनेसे काफी मीठा हो जाता है, उतना बम्बईकी खाड ( विदेशी खाड) दो छटॉक डालनेसे काफी मीठा नहीं हो सकता है, लेकिन तुर्रा यह है कि दूकानदार खुद विलायती For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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