________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारतमें दुर्भिक्ष । मान्य पुरुषोंसे छुप कर सेवन करते हैं । परन्तु चाय आदि भी एक मादक पदार्थ हैं, किन्तु उनका उपयोग खुल्लम-खुल्ला पिता, पुत्र एक दूसरेके आगे आनन्द-पूर्वक करते हैं; बल्कि कहीं कहीं तो यदि पुत्र किसी कारणसे चाय न पीता हो तो पिताजी उस पर नाराज हो कर उसे जबरन् पिला ही देते हैं ! कैसे दुःखकी बात है कि लोग इसकी हानि पर जरा भी ध्यान नहीं देते। लोगोंको चाहिए कि जब वे तीर्थयात्रादिको जाते हैं तो गंगा आदि.पवित्र तीर्थों पर फल, बैंगन, कहू आदि शाक-भाजी छोड़ कर अपनी धर्म-शूरताका परिचय न दे कर ऐसे दुष्ट व्यसनों-शराब, भांग, गाजा, चंडू, चरस, अफीम, मदक, सुलफा, पोस्त, तमाखू, चाय, कहवा आदि वस्तुओंके न ग्रहण करने की शपथ खाया करें; जिससे देशका और निजका कल्याण हो; और भारत सुखी एवं धनधान्यसे पूर्ण हो । हमारे ब्राह्मणों, पंडों, पुजारियोंको भी चाहिए कि वे ऐसे दुष्ट व्यसनोंसे ही लोगोंको मुक्त करनेकी चेष्टा करें। यदि वे ऐसा करने लगे तो कोई बड़ी बात नहीं कि शीघ्र ही देशसे मादक द्रव्योंका काला मंह हो जाय, किंतु पहले स्वयं छोड़ दें तब न !
For Private And Personal Use Only