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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नहीं खोली तो न जाने हमें आगे चल कर किस भयंकर समयका सामना करना पड़ेगा? हम यहाँ नीचे एक कोष्टक देते हैं जिससे आपको पता लगेगा कि यहाँ अन्नकी कितनी कमी है। - - - सन् देशमें अन्नकी । देशमें अन्न आवश्यकता पैदा हुआ देशमें अन्नकी कमी १९११-१२ १९१२-१३ १९१३-१४ १९१४-१५ ५६५.. ५१९. ४९६१ ७८.३ १०१० १४५'. १०४.३ ६४१.१ ६४९.१ ५८४.३ ६४.८ १९१६-१७ १९१७-१८ ६४९.१ ५७१३ -- (स्मरण रहे यह संख्या लाख टनकी है और १ टन लगभग २७ मनका होता है।) अब उक्र कमीकी पूर्तिक केवल दो ही उपाय हैं । (१) देशमें अनकी पैदावरी षढ़ाई जावे, (२) देशका अन्न बाहर नहीं जाने दिया जावे। पहला उपाय तो इस भूखे भारतके लिये कष्टसाध्य है; और ऐसी दशामें तो कष्टसाध्य क्या महान असाध्य है। क्योंकि यहाँके अनदाता कृष्णकोंकी बड़ी ही दुर्दशा है; वे अत्यंत दरिद्र हैं। अब केवल दुसरा उपाय रह जाता है। वही इस महान दुर्भिक्षके लिये अचूक इलाज है । यहाँकी कमीको देखते हुए यहाँका एक दाना भी विदेशको भेजना महान पाप है; और महान अन्याय है। ___ अब जरा नीचेका कोष्टक देखिए, इसमें यह दिखळाया गया है कि अमुक सन्में इतनी कमी होने पर भी इतना अन्न भूखे भारतका विदेशोंको भेज दिया गया। For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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