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भारतमें दुर्भिक्ष।
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.. भारतीय किसान और व्यापारी तब तक अपनी खेती अथवा व्यापारकी कुछ भी उन्नति नहीं कर सकते जब तक कि वे अपने अपने काममें स्वाधीन अथवा स्वतंत्र नहीं हैं। अत एव हम स्पष्ट रूपसे कह सकते हैं कि राजनैतिक सुधार और आर्थिक सुधार हमेशा साथ ही होते हैं। पहले आर्थिक सुधार और पीछे राजनैतिक सुधार हों, यह बात बिलकुल गलत है। हम ऊपर बतला चुके हैं कि राजनैतिक एवं आर्थिक सुधार हमेशा साथ साथ ही होते हैं । जैसे जैसे राजनैतिक सुधार होंगे, वैसे वैसे आर्थिक सुधार भी होंगे और आर्थिक सुधारोंके साथ साथ वैज्ञानिक और औद्योगिक सुधार भी बढ़ेंगे । जब तक आर्थिक सुधार न होंगे तब तक वैज्ञानिक और औद्योगिक सुधार होने के लिये भी अवसर नहीं मिलेगा। क्योंकि सब बातें आर्थिक सुधारों पर निर्भर हैं, और आर्थिक उन्नति राजनैतिक उन्नतिके साथ साथ होती है। हम सरकारसे प्रार्थना करते हैं कि राजनैतिक सुधार करनेके लिये हमें वह अवसर दे जिससे हमारी आर्थिक उन्नति हो । आर्थिक उन्नति होनेसे ही भारतकी दरिद्रता दूर होगी और साथ ही दुर्भिक्षसे छुटकारा होगा।
भारतकी आर्थिक दशाके विषयमें इधर कई वर्षोंसे दो मत सुने जा रहे हैं। अँगरेज और वर्तमान अँगरेजी शासनके पक्षपाती कहते हैं कि भारतकी आर्थिक अवस्था दिनों दिन उन्नत हो रही है, पर भारतवासी कहते हैं कि हम दिनों दिन दरिद्र होते जा रहे हैं। इसी मतद्वयीके कारण ऋषिकल्प दादाभाई नौरोजीने कहा था कि भारत दो हैं, एक हिन्दुस्थानियोंका तथा दूसरा अँगरेजों और अन्य यूरोपियनोंका । भारतवासियोंका भारतवर्ष गरीब है,पर अँगरेज और यूरोपियन नाना प्रकारसे-अफसर और व्यापारी रूपसे-यहाँका धन ले जाते हैं, इस लिये भारत उन्हें अमीर देख पड़ता है। सच त
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