________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पश्चिमी क्षत्रपोंका वंश-वृक्ष ।
भूमक
* दीनक
१नहपान
* समोतिक
* दक्षमित्रा ऋषभदत्त
२ चष्टन
जयदामा
३ रुद्रदामा प्रथम
४ दामघ्सद ( दामजदश्री प्रथम )।
रुद्रसिंह प्रथम कन्या-आन्ध्रवंशी राजा पुलुमावि
सत्यदामा
५ जीवदामा
७ रुदसेन प्रथम
८ संघदामा
१दामसेन
सत्यदामा ५ जीवदामा ।
८ संघदामा पासन _ दामजदश्री द्वितीय
पृथिवीसेन
दामजदश्री द्वितीय
वीरदामा १० ईश्वरदत्त
११ यशोदामा प्रथम
१२ विजयसेन
१३ दामजदश्री तृतीय
१४ रुद्रसेन द्वितीय
१५ विश्वसिंह
१५ विश्वसिंह
• स्वामी जीवदामा
१६ भर्तृदामा १६ दामा
* स्वामी जीवदामा
विश्वसेन
दसिंह द्वितीय
१७ स्वामी रुद्रदामा द्वितीय
यशोदामा द्वितीय
१८ स्वामी रुद्रसेन तृतीय
कन्या
१९ स्वामी सिंहसेन
२१ स्वामी सत्यसिंह
२० स्वामी रुद्रसेन चतुर्थ
२२ स्वामी रुद्रसिंह तृतीय नोट-जिन नामोंके आगे १ से २२ तकके अङ्क लिखे हैं वे महाक्षत्रप हुए थे। और जो केवल क्षत्रप हो रहे थे उनके नामके आगे कुछ नहीं लिखा है । परन्तु जो न तो महाक्षत्रप ही हुए और न क्षत्रप ही उनके नामके आगे तारेका (*) चिन्ह लगा दिया गया है।
(पृष्ठ २६)
For Private and Personal Use Only