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भारतके प्राचीन राजवंश
तरफ होनेको बाध्य किया।” इनमेंका उदयसिंह उपर्युक्त चौहान राजा उदयसिंह ही होगा।
संधाके लेखमें आगे चलकर इसे 'सिंधुराजान्तक' लिखा है । अतः या तो यह शब्द सिन्धदेशके राजाके लिये लिखा गया होगा या यह उक्त नामका राजा होगा, जिसके पुत्र शङ्कको बघेल लवणप्रसादके राज्यसमय खंभातके पास वस्तुपालने हराया था ।
इसके समयका वि० सं० १३०६ ( ई० स० १२४९) का एक लेख भीनमालसे मिला है।
रामचंद्रकृत निर्भयभीमव्यायोगकी एक हस्तलिखित प्रतिमें लिखा है:
" संवत् १३०६ वर्ष भाद्रवावदि ६ रवावयेह श्रीमहाराजकुलश्री उदयसिंहदेवकल्याणविजयराज्ये... ।”
इससे स्पष्ट है कि उपर्युक्त उदयसिंहसे भी चौहान उदयसिंहका ही तात्पर्य है।
जिनदत्तने अपने विवेकविलासके अन्तमें लिखा है कि उसने उक्त ग्रन्थकी रचना जाबालिपुर ( जालोर ) के राजा उदयसिंहके समय की थी। ___ उदयसिंहके एक तीसरा पुत्र और भी था । इसका नाम वाहड़देव था। उदयसिंहके एक कन्या भी थी। इसका विवाह धोलका (गुजरातमें) के राजा वीरधवलके बड़े पुत्र वीरमसे हुआ था । राजशेखररचित प्रबन्धचिन्तामणि और हर्षगणिकृत वस्तुपाल-चरित्रमें लिखा है कि वस्तुपालने वीरमके छोटे भाई वीसलको गद्दीपर बिठला दिया । इसपर (१) Dr. Peterson's Firat report ( 1882-83), App. p. 81. (२) Dr. Bhandarkar's Search for Sanskrit Mss tor 188384, p.156. (३) G. B. P. Vol. 1, p. 482,
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