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जालोरके सोनगरा चौहान
जालोरके सोनगरा चौहान ।
१-कीर्तिपाल । हम पहले आहणके वर्णनमें लिख चुके हैं कि उसने अपने तीसरे पुत्र कीर्तिपालको गुजारेके लिये १२ गाँव दिये थे । इसी कीर्तिपालसे चौहानोंकी सोनगर। शाखा चली।
किराडूके लेख में लिखा है कि केल्हणका भाई कीर्तिपाल था । इसने किराड़के राजा आसलको परास्त किया, कायद्रांके युद्धमें मुसलमानोंको हराया और जालोरमें अपना निवास निश्चित किया।
वि० सं० १२३५ ( ई० स० ११७८) का एक लेख किराडूके सोमेश्वरके मन्दिरमें लगा है । यह चौलुक्य भीमदेव द्वितीयके समयका है। इसमें इसके सामन्त मदन ब्रह्मदेवका भी उल्लेख है । प्रो० डी० आर० भाण्डारकरका अनुमान है कि शायद उपर्युक्त किराडूके लेखका आसल इसी मदन ब्रह्मदेवका उत्तराधिकारी होगा।
इसमें जो कायद्रा ( कासहद ) का नाम है उससे आबू पर्वतकी तराईमेंके कायद्रां नामक गाँवसे तात्पर्य है । क्योंकि ताजुलम आसिरमें लिखा है:
"जब कुतुबुद्दीन अनहिलवाड़े पर हमला करनेके लिये अजमेरसे रवाना हुआ तब रायकरन और दाराबर्सकी अधीनतामें आबूकी तराईमें बहुतसे हिन्दु योद्धा एकत्रित हो गये और रास्ता रोककर डट गये । परन्तु मुसलमानोंने उस स्थानपर उनसे लड़नेकी हिम्मत न की, क्योंकि उसी स्थानपर लड़कर सुलतान मुहम्मद साम गोरी जखमी हो चुका था।" (2) Elliot's History of India Vol. I, P. 170.
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