________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारतके प्राचीन राजवंश
चढ़ाई कर दी। इस युद्ध में यद्यपि हम्मीर विजयी हुआ, तथापि उसके झुके हुए निशानको किलेकी ओर आता देख रानीने समझा कि राज युद्ध में मारा गया । अतः उसने अपने प्राण त्याग दिये । जब हम्मीरने यह हाल देखा तब स्वयं भी तलवारसे अपना मस्तक काट डाला । परन्तु ऐतिहासिक पुस्तकों में लिखे वृत्तान्त से भिन्न होने के कारण इस उपर्युक्त लेखपर विश्वास नहीं किया जा सकता |
"
वि० सं० १८५५ में कवि जोधराजने हम्मीर रासा नामक हिन्दी भाषाका काव्य बनाया था । यह कवि जातिका गौड़ ब्राह्मण और नीम-राणाके राजा चंद्रभानका आश्रित था। इसने उपर्युक्त वृत्तान्तमें मरहटी बेगम स्थानपर चिमना बेगम लिखा है । तथा वि० सं० १९४१ की कार्तिक वदी १२ रविवारको हम्मीरका जन्म होना माना है । यह काव्य भी ऐतिहासिक दृष्टिसे विशेष उपयोगी नहीं है ।
वि० सं० १३४५ का हम्मीरके समयका एक शिलालेख मिला है यह बूँदी राज्यके कुँवालजी के कुण्डपर लगा है ।
२७८
For Private and Personal Use Only