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चौहान-वंश ।
बाके बड़े पुत्रने अपने पिताकी वैसी ही सेवा की जैसी कि परशुरामने अपनी माताकी की थी। तथा वह अपने पीछे बुझी हुई बत्तीकी तरह दुर्गन्ध छोड़ गया।" इससे सिद्ध होता है कि जगदेव अपने पिताकी हत्या कर अपने पीछे बड़ा भारी अपयश छोड़ गया था ।
बीजोल्याके लेख में लिखा है कि-"अर्णोराजके पीछे उसका पुत्र विग्रह राज्यका अधिकारी हुआ और उसके पीछे उसके बड़े भाईका पुत्र पृथ्वीराज राज्यका स्वामी हुआ ।" इससे प्रकट होता है कि उक्त लेखके लेखकको भी उक्त वृत्तान्त मालूम था । इसी लिये उसने पृथ्वीराजको विग्रहराजके बड़े भाईका पुत्र ही लिखा है । परन्तु पृथ्वीराजके पितृघाती पिताका नाम लिखना उचित नहीं समझा।
एक बात यह भी विचारणीय है कि जब विग्रहराजके बड़े भाईका पुत्र विद्यमान था तब फिर विग्रहराजको राज्याधिकार कैसे मिला । इससे अनुमान होता है कि पिताकी हत्या करनेके कारण सब लोग जगदेवसे अप्रसन्न हो गये होंगे और उन्होंने उसे राज्यसे हटा उसके छोटे भाई विग्रहराजको राज्यका स्वामी बना दिया होगा। ___ हम्मीर-महाकाव्यसे और प्रबन्धकोशके अन्तकी वंशावलीसे जगदेवका राजा होना सिद्ध होता है ।
उपर्युक्त सब बातों पर विचार करनेसे अनुमान होता है कि यह बहुत ही थोड़े समय तक राज्य कर सका होगा, क्यों कि शीघ्र ही इसके छोटे भाई विग्रहराजने इससे राज्य छीन लिया था।
२७-विग्रहराज ( वीसलदेव ) चतुर्थ । यह अर्णोराजका पुत्र और जगदेवका छोटा भाई था, तथा अपने बड़े भाईके जीतेजी उससे राज्य छीनकर गद्दीपर बैठा। ___ यह बड़ा प्रतापी, वीर और विद्वान् राजा था। बीजोल्याके लेखसे ज्ञात होता है कि इसने नाडोल और पालीको नष्ट किया तथा जालोर और
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