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चौहान वंश |
हम्मीर - महाकाव्य में लिखा है कि, विग्रहराजने चढ़ाई कर मूलराजको मार डाला । परन्तु यह बात सत्य प्रतीत नहीं होती ।
पृथ्वीराजरासे में जो वीसलदेवकी गुजरातके चालुकरायपरकी चढ़ाईका वर्णन है वह भी इसी विग्रहराज की इस चढाईसे ही तात्पर्य रखती है ।
इसके समयका वि० सं० १०३० ( ई० स० ९७३ ) का एक शिलालेख हर्षनाथके मन्दिरसे मिला है । इसका वर्णन हम ऊपर कई जगह कर चुके हैं। इससे भी प्रकट होता है कि यह बड़ा प्रतापी
राजा था ।
१६ - दुर्लभराज (द्वितीय) |
यह सिंहराजका पुत्र और अपने बड़े भाई विग्रहराज द्वितीयका उत्तराधिकारी था ।
१७ - गोविन्दराज |
यह शायद सिंहराजका पुत्र और दुर्लभराजका छोटा भाई था और उसके पीछे राज्यका स्वामी हुआ । इसको गंदुराज भी कहते थे । १८ - वाक्पतिराज ( द्वितीय ) ।
यह गोविन्दराजका पुत्र और उत्तराधिकारी था । १९ - वीर्यम |
यह वाक्पतिराजका पुत्र था और उसके पीछे गद्दीपर बैठा । इसने मालवेके प्रसिद्ध परमार राजा भोज पर चढ़ाई की थी। परंतु उसमें यह मारा गय 1
शायद इसीके समय सुलतान महमूद गजनीने गढ़ बीटली ( अजमेर) पर हमला किया था और जखमी होकर यहाँसे उसे ई० स० १०२४ में अहिलवाड़े को लौटना पड़ा था ।
(१) पृथ्वीराज - विजय, सर्ग ५ ॥
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