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११ - गूवक ( द्वितीय ) |
यह चन्द्रराज द्वितीयका पुत्र था और उसके पीछे गद्दी पर बैठा । १२ - चन्दनराज |
यह गूवक द्वितीयका पुत्र था और उसके पछि उसके राज्यका स्वामी हुआ ।
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पूर्वोक्त हर्षनाथ के लेखसे पता चलता है कि इसने " तँवरावती " ( देहली के पास ) पर हमला कर वहाँके तँवरवंशी राजा रुद्रेणको
मार डाला ।
१३ - वाक्पतिराज ।
यह चन्दनराजका पुत्र और उत्तराधिकारी था ।
इसको बप्पराज भी कहते थे । इसने विन्ध्याचलतक अपने राज्यका विस्तार कर लिया था ।
हर्षनाथ के लेखसे पता चलता है कि तन्त्रपालने इसपर हमला किया था । परन्तु उसे हारकर भागना पड़ा । यद्यपि उक्त तन्त्रपालका पता नहीं लगता है, तथापि सम्भवतः यह कोई तँवर - वंशी होगा ! वाक्पतिराजने पुष्कर में शायद एक मन्दिर बनवाया था ।
इसके तीन पुत्र थे - सिंहराज, लक्ष्मणराज और वत्सराज | इनमें से सिंहराज तो इसका उत्तराधिकारी हुआ और लक्ष्मणराजने नाडोल ( मारवाड़ ) में अपना अलग ही राज्य स्थापित किया ।
१४- सिंहराज |
यह वाक्पतिराजका बड़ा पुत्र और उत्तराधिकारी था ।
यह राजा बड़ा वीर और दानी था । लवण नामक राजाकी सहायता से तँवरोंने इसपर हमला किया । परन्तु उन्हें हारकर भागना पड़ा । इसी राजाने वि० सं० १०१३ ( ई० स० ९५६ ) में हर्षनाथका मन्दिर
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