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भारतके प्राचीन राजवंश
सेनके संवत् २७) में सदुक्तिकर्णामृत नामका ग्रन्थ संग्रह किया। उसमें ४४६ कवियोंकी कविताओंका संग्रह है।
६-माधवसेन (?)। यह लक्ष्मणसेनका बड़ा पुत्र था । अबुलफज़लने लिखा है कि लक्ष्मणसेनके पीछे उसके पुत्र माधवसेनने १० वर्ष और उसके बाद केशवसेनने १५ वर्ष राज्य किया। मिस्टर एटकिन्सनने लिखा है कि अल्मोड़ा (जिला कमाऊँके ) पास एक योगेश्वरका मन्दिर है । उसमें माधवसेनका एक ताम्रपत्र रक्खा हुआ है, परन्तु वह अब तक छपा नहीं । इससे उसका ठीक वृत्तान्त कुछ भी मालूम नहीं होता । यदि उक्त ताम्रपत्र वास्तवमें ही माधवसेनका हो तो उससे अबुलफज़लके लेखकी पुष्टि होती है । परन्तु अबुलफज़लका लिखा बल्लालमेन और लक्ष्मण सेनका समय ठीक नहीं है। इस लिए हम उसीके लिखे माधवसेन और केशवसेनके राज्य-समय पर भी विश्वास नहीं कर सकते।
__७-केशवसेन (?) । यह माधवसेनका छोटा भाई था। हरिमिश्र घटकैकी बनाई कारिकाओंमें माधवसेनका नाम नहीं है । उनमें लिखा है कि लक्ष्मणसेनके बाद उसका पुत्र केशवसेन, यवनोंके भयसे, गौड़-राज्य छोड़ कर, अन्यत्र चला गया। एडमिश्रने केशवका किसी अन्य राजाके पास जाकर रहना लिखा है । परन्तु उक्त कारिकामें उस राजाका नाम नहीं दिया गया।
८-विश्वरूपसेन । यह भी माधवसेन और केशवसेनका भाई था। इसका एक ताम्रपत्र मिला है। उसमें लक्ष्मणसेनके पीछे उसके पुत्र विश्वरूपसेनका राजा (१) Kamann. p. 518. (२) घटक बङ्गालमें उन ब्राह्मणोंको कहते हैं जो समान कुलकी वर-कन्याओंका सम्बन्ध कराया करते हैं।
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