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भारतके प्राचीन राजवंश
मिस्टर रावर्टी अपने तबकाते नासिरीके अँगरेजी-अनुवादकी टिप्पगीमें लिखते हैं कि ई०स० ११९४ ( हिजरी सन् ५९० ) में यह घटना हुई होगी। ई० थामस साहब हिजरी सन् ५९९ (ई० स. १२०२-३) इसका होना अनुमान करते हैं । परन्तु मिस्टर ब्लाकमैनने विशेष खोजसे निश्चित किया है कि यह घटना ई० स० ११९८ और ११९९ के बीचकी है। यह समय पण्डित गौरीशङ्करजीके अनुमानसे भी मिलता है।
दन्तकथाओंसे जाना जाता है कि जगन्नाथकी तरफसे वापस आकर लक्ष्मणसेन विक्रमपुरमें रहा था।
सदुक्तिकर्णामृतके कीने शक संवत् ११२७ ( विक्रम संवत् १२६२, ई०स०१२०५ ) में भी लक्ष्मणसेनको राजा लिखा है । इससे सिद्ध होता है कि उस समय तक भी वह विद्यमान था । सम्भव है उस समय वह सोनारगाँवमें राज्य करता हो।
बख्तियार खिलजीके आक्रमणके समय लक्ष्मणसेनको राज्य करते हुए २१ वर्ष हो चुके थे। उस समय उसकी अवस्था ८० वर्षकी थी। उसके राज्यके भिन्न भिन्न प्रदेशोंमें उसके पुत्र अधिकारी नियत हो चुके थे।
उसका देहान्त विक्रम संवत् १२६२ ( ई०स० १२०५ ) के बाद हुआ होगा। जनरल कनिङ्गहामके मतानुसार उसकी मृत्यु १२०६ ईसवीमें हुई।
विन्सेन्ट स्मिथ साहबने लक्ष्मणसेनका समय ११७० से १२०० ईसवी तक लिखा है । उसके राज्यके तीसरे वर्षका एक ताम्रपत्र मिला है। उसमें उसके तीन पुत्र होनेका उल्लेख है-माधवसेन, केशवसेन,
(१)J. Bm. A. S. 1875, p. 275-77. (२) J. Bm. A. 8,. 1878, P. 399. (३)A.S. R, Vol. XV, P. 167.
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