________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सेन-वंश।
अलबेरुनीने लिखा है कि अब तक हिन्दुस्तानमें बहुतसे जरतुश्तके अनुयायी हैं । उनको मग कहते हैं। मग ही भारतमें सूर्यके पुजारी हैं ।
शक-संवत् १०५९ ( विक्रम संवत् ११९४ ) में मगजातिके शाकदीपी ब्राह्मण गङ्गाधरने एक तालाब बनवाया था । उसकी प्रशस्ति गोविन्दपुरमें ( गया जिलेके नवादा विभागमें ) मिली है । उसमें लिखा है कि तीन लोकके रत्नरूप अरुण ( सूर्यके सारथि ) के निवाससे शाकद्वीप पवित्र है । यहाँके ब्राह्मण मग कहाते हैं । ये सूर्यसे उत्पन्न हुए हैं । इन्हें श्रीकृष्णका पुत्र शाम्ब इस देशमें लाया था। इससे भी ज्ञात होता है कि मग लोग शाक-द्वीपसे ही भारतमें आये हैं । यह गङ्गाधर मगधके राजा रुद्रमानका मन्त्री और उत्तम कवि था। उसने अद्वैतशतक आदि ग्रन्थ बनाये हैं। ___ पूर्व-कथित बल्लालचरित शक-संवत् १४३२ ( विक्रमसंवत् १५६७) में आनन्द-भट्टने बनाया । उसने उसे नवद्वीपके राजा बुद्धिमतको अर्पण किया। आनन्दभट्ट बल्लालके आश्रित अनन्त-भट्टका वंशज था, और उक्त नवद्वीपके राजाकी सभामें रहता था । आनन्द-भट्टने यह ग्रन्थ निम्नलिखित तीन पुस्तकोंके आधार पर लिखा है।
१-बल्लालसेनको शैव बनानेवाले (बदरिकाश्रमवासी ) साधु सिंहगिरिरचित व्यासपुराण ।
२-कवि शरणदत्तका बनाया बल्लालचरित । ३-कालिदास नन्दीकी जयमङ्गलगाथा ।
साधु सिंहगिरि तो बल्लालसेनका गुरु ही था। परन्तु पिछले दोनों, शरणदत्त और कालिदास नन्दी, भी उसके समकालीन ही होंगे, क्योंकि (१) Alberunis' India, English translation, Vol. I, P.21. (२) इसकी माताका नाम जाम्बवती था। (३) Ep. Ihd., Vol. II, p. 333.
१४
२०९
For Private and Personal Use Only