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भारतके प्राचीन राजवंश
१३-विग्रहपाल (तीसरा)। यह नयपालका पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसने डाहल ( चेदी ) के राजा कर्ण पर चढ़ाई की और विजयप्राप्ति भी की । इसलिए कर्णने अपनी पुत्रीका विवाह इससे कर दिया। यही उनके आपसमें सुलह होनेका कारण हुआ। इसके बदले विग्रहपालने भी कर्णका राज्य उसे लौटा दिया।
इस राजाका एक ताम्रपत्रं आमगाछी गाँवमें मिला है। वह इसके राज्यके तेरहवें या बारहवें वर्षका है।
इस राजाके तीन पुत्र थे—महीपाल, शूरपाल और रामपाल । इनमेंसे बड़ा पुत्र महीपाल इसका उत्तराधिकारी हुआ । विग्रहपालके मन्त्रीका नाम योगदेव था।
१४-महीपाल (दूसरा )। यह विग्रहपाल (तीसरे ) का पुत्र था । उसके मरने पर उसके राज्यका स्वामी हुआ । यह निर्बल राजा था । इसके अन्यायसे पीड़ित होकर वारेन्द्रका कैवर्त राजा बागी हो गया। उसने पाल-राज्यका बहुत सा हिस्सा इससे छीन लिया । इस पर महीपालने कैवर्त राजा पर चढ़ाई की । परन्तु इस लड़ाईमें वह कैवर्त-राजद्वारा पकडा जाकर मारा गया । उसके पीछे उसका छोटा भाई शूरपाल गद्दी पर बैठी ।
१५-शूरपाल । यह विग्रहपाल ( तीसरे ) का पुत्र और महीपाल (दूसरे ) का छोटा भाई था। अपने बड़े भाई महीपाल ( दूसरे ) के मारे जाने पर उसका उत्तराधिकारी हुआ । यह राजा भी निर्बल था। इसके पीछे इसका छोटा भाई रामपाल राज्यका अधिकारी हुआँ ।
(१) रामचरित । (२) Ind. Ant, Vol. XIV, p. 166. (३) Ep. Ind., Vol. II, p. 350. (४) रामचरित ।
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