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परमार वंशकी उत्पत्ति ।
परमार वंश की उत्पत्ति ।
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इस वंशकी उत्पत्तिके विषयमें अनेक मत हैं। राजा शिवप्रसाद अपने इतिहास तिमिर - नाशक नामक पुस्तकके प्रथम भागमें लिखते हैं कि जब विधर्मियोंका अत्याचार बहुत बढ़ गया तब ब्राह्मणोंने अर्बुदगिरि ( आबू ) पर यज्ञ किया, और मन्त्रवलसे अग्निकुण्डमें से क्षत्रियों के चार नये वंश उत्पन्न किये। परमार, सोलंकी, चौहान और पड़िहार । "
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अबुल फजलने अपनी आईने अकबरीमें लिखा है कि जब नास्तिकोंका उपद्रव बहुत बढ़ गया तब आबूपहाड़पर ब्राह्मणोंने अपने अग्निकुण्डसे परमार, सोलंकी, चौहान और पड़िहार नामके चार वंश उत्पन्न किये ।
पद्मगुप्त (परिमल ) ने अपने नवसाहसाङ्कचरितके ग्यारहवें सर्गमें इनकी उत्पत्तिका वर्णन इस प्रकार किया है:
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अर्बुदाचल-वर्णनम् ।
ब्रह्माण्डमण्डपस्तम्भः श्रीमानस्त्यर्बुदो गिरिः । उपसिका यस्य सरितः सालभञ्जिकाः ॥ ४९ ॥
वसिष्ठाश्रमवर्णनम् ।
अतिस्वाधीननीवार-फल- मूल समित्कुशम् ) मुनिस्तपोवनं चक्रे तत्रेक्ष्वाकुपुरोहितः ॥ ६४ ॥ हृता तस्यैकदा धेनुः कामसूर्गाधिसूनुना । कार्तवीर्यार्जुनेनेव जमदरनीयत ॥ ६५ ॥ स्थूलाश्रुत्रारासन्तानस्नपितस्तनवल्कला । अमर्षपावकस्याभूद्भर्तुस्स्समिदरुन्धती ॥ ६६ ॥
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