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मालवेके परमार ।
रही थीं। तब सिद्धराजने जगदेवसे पूछा कि तुमने इस घटनाका क्या कारण ज्ञात किया ? इस पर उसने कहा कि जैसा इन सामन्तोंने निवेदन किया वैसा ही हुआ होगा।
यह सुनकर सिद्धराजने उन सब सामन्तोंको बहुत धिक्कारा । इसके बाद उसने वह सारा वृत्तान्त जो रातको हुआ था, कह सुनाया । जगदेवकी उसने बहुत प्रशंसा की । फिर उसके साथ अपनी बड़ी राजकुमारीका विवाह कर दिया और २५०० गाँव और जागीरमें दे दिये।
पूर्वोक्त घटनाके दो तीन वर्ष बाद सिद्धराज कच्छ के राजा फूलके पुत्र लाखा ( लाखा फलाणी ) की पुत्रीसे विवाह करने भुज गया । उस समय जगदेव भी उसके साथ था । राजा फूलने जो जगदेवकी कुलीनता और वीरतासे अच्छी तरह परिचित था, अपने पुत्र लाखाकी छोटी लड़की फूलमतीसे जगदेवका विवाह भी उसी समय कर दिया । लाखाकी बड़ी पुत्री, सिद्धराजकी रानी, के शरीरमें कालभैरवका आवेश हुआ करता था। उस भैरवके साथ युद्ध करके जगदेवने उसे अपने वशमें कर लिया। सिद्धराज पर यह उसका दूसरा एहसान हुआ । ___ एक दिन स्वयं चामुण्डा देवी, भाग्नीका रूप धारण करके, सिद्धराजके दरबारमें कुछ माँगने गई। वहाँ पर जगदेवने कोई बात पड़ने पर अपना सिर काट कर उसे देवीको अर्पण कर दिया। उसकी वीरता
और भक्तिसे प्रसन्न होकर देवीने उसे फिर जिला दिया। परन्तु उसी दिनसे सिद्धराज उससे अप्रसन्न रहने लगा । यह देख जगदेवने पाटन छोड़ देनेका विचार दृढ किया । एतदर्थ उसने सिद्धराजकी आज्ञा माँगी और अपने स्त्री-पुत्रों सहित वह धाराको लौट गया। वहाँपर उदयादित्यने उसका बहुत सम्मान किया। - कुछ समय बाद उदयादित्य बहुत बीमार हुआ । जब जीनेकी आशा न रही, तब उसने अपने सामन्तोंको एकत्र करके अपना राज्य अपने
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