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भारतके प्राचीन राजवंश
पर काम आनेके लिए राजाने आपको रक्खा है । और क्षत्रियका धर्म भी यही है । परन्तु इतना आपको स्वीकार करना होगा कि आपके साथ ही मैं भी अपने प्राण दे दूं । यह सुनकर जगदेवने कहा कि यदि हम दोनों मर जायँगे तो इन बालकोंकी क्या दशा होगी ? इसपर उसकी स्त्री चावड़ीने कहा कि यदि ऐसा है तो इनका भी बलिदान कर दो। इस बातको जगदेवने भी अङ्गीकार कर लिया, और अपने दोनों पुत्रों
और स्त्रीके साथ वह उन देवियों के सामने उपस्थित हो गया । सिद्धराज भी पूर्ववत् चुपचाप वहाँ पहुँचा और छिपकर खड़ा हो गया। ___ जगदेवने देवियोंसे पूछा कि मेरे सिरके बदले सिद्धराजकी उम्र कितनी बढ़ जायगी ! उन्होंने उत्तर दिया, १२ वर्ष । यह सुनकर जगदेवने कहा कि स्त्री-सहित मैं अपने दोनों पुत्रोंके भी सिर आपको अर्पण करता हूँ । इसके बदले सिद्धराजकी उम्र ४८ वर्ष बढ़नी चाहिए । देवियोंने प्रसन्न होकर यह बात मान ली। तब चावडीने अपने बड़े पुत्रको देवियोंके सामने खड़ा किया। जगदेवने अपनी तलवारसे उसका सिर काट दिया। फिर दूसरे पुत्र पर उसने तलवार उठाई। इतनमें देवियोंने जगदेवका हाथ पकड़ लिया और कहा कि हमने तेरी स्वामि-भक्तिसे प्रसन्न होकर राजाकी उम्र ४८ वर्ष बढ़ा दी । इसके बाद देवियोंने उसके मृत पुत्रको भी जीवित कर दिया । तब जगदेव देवियोंको प्रणाम करके स्त्रीपुत्रों. सहित घरको लौट आया। सिद्धराज भी मन ही मन जगदेवकी दृढ़ता और स्वामि-भाक्तिकी प्रशंसा करता हुआ अपने महलको गया।
प्रातःकाल, जब जगदेव दरबार में आया तब, सिद्धराज गद्दीसे उतर कर उससे मिला। फिर उन सामन्तोंसे, जिनको उसने रोने और गानेवालियोंका हाल मालूम करनेको कहा था, पूछा कि कहो क्या पता लगाया? उन्होंने उत्तर दिया कि किसीका पुत्र मर गया था, इससे वे रो रही थीं। दूसरीके यहाँ पुत्र उत्पन्न हुआ था इससे वहाँ स्त्रियाँ गा
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