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भारतके प्राचीन राजवंश
यह इतना वियानुरागी और विद्वानोंका सम्मान करनेवाला था कि इस विषयकी सैकड़ों कथायें अबतक प्रसिद्ध हैं । ___ राज्यासन पर बैठनेके समय भोज कोई १५ वर्षका था। उसने उज्जेनको छोड़ धाराको अपनी राजधानी बनाया । बहुधा वह वहीं रहा करता था। इसीसे उसकी उपाधि धारेश्वर हुई ।। __ भोजका समय हिन्दुस्तानमें विशेष महत्त्वका था, क्योंकि १०११ से १०३० ईसवी तक महमूद गजनवीने भारत पर पिछले ६ हमले किये। मथुरा, सोमनाथ और कालिंजर भी उसके हस्तगत हो गये। __भोजके विषयमें उदयपुर (ग्वालियर ) की प्रशस्तिके सत्रहवें श्लोकमें लिखा है:
आकैलासान्मलयगिरितोऽस्तोदयाद्रिद्वयाद्वा भुक्ता पृथ्वी पृथुनरपतेस्तुल्यरूपेण येन । उन्मूल्योीभरगुरु [ग] णा लीलया चापयज्या
क्षिप्ता दिक्षु क्षितिरपि परां प्रीतिमापादिता च ॥ अर्थात् उसने कैलास (हिमालय ) से लगाकर मलयपर्वत (मलबार), तकके देशों पर राज्य किया । यह केवल कवि-कल्पना और अत्युक्ति मात्र है। इसमें सन्देह नहीं कि भोजका प्रताप बहुत बढ़ा हुआ था। किन्तु उसका राज्य मुनके राज्यसे अधिक विस्तृत था, इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता । नर्मदाके उत्तरमें, उसके राज्यमें थोड़ा बहुत वही भाग था जो इस समय बुंदेलखण्ड और बघेलखण्डको छोड़ कर मध्य भारतमें शामिल है । दक्षिणमें उसका राज्य किसी समय गोदावरीके किनारे तक पहुँच गया जान पड़ता है । नर्मदा और गोदावरीके बीचके प्रदेशके लिए परमारों और चौलुक्योंमें बहुधा विरोध रहता था । इसी प्रशस्तिके उन्नीसवें श्लोकमें लिखा है:
चेदीश्वरेन्द्ररथ [तोग्ग] ल [ भीममु ] ख्यान् कर्णाटलाटपतिगुजेररातुरष्कान् ।
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