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मालवेके परमार।
भोजके बालक होने के कारण ही वह राज्यासन पर बैठा था। यह सिद्ध हो चुका है। ___ इसीके समयमें अणहिलवाड़ाके चालुक्य चामुण्डराजने अपने पुत्रको राज्य देकर तीर्थयात्राका इरादा किया था और मालवेमें पहुंचने पर राज्यचिह्न छीननेकी घटना हुई थी । उसके बाद बल्लभराजने अपने पिताके आज्ञानुसार सिन्धुराज पर चढ़ाई की थी । परन्तु मार्गमें चेचककी बीमारीसे वह मर गया। इस चढ़ाईका जिक्र बडनगरकी प्रशस्तिमें है' । प्रबन्धकारोंसे भी इस आपसकी लड़ाई ( ९९७-१०१० ईसवी) का पता लगता है, जो सिन्धुराज तथा चालुक्य चामुण्डराज और बल्लभराजके साथ हुई थी।
इसके जीते हुए देशोंमेंसे कोशल और दक्षिण कोशल (मध्यप्रान्त और बराड़का कुछ भाग ) होना चाहिए, क्योंकि वे मालवेके निकट थे। इसी तरह वागड़देश राजपूतानेका वागड़ होना चाहिए, न कि कच्छका। यह वागड़ अधिकतर दूंगरपुरके अन्तर्गत है; उसका कुछ भाग बाँसवाड़ेमें भी है।
यद्यपि मुरल अर्थात् दक्षिणका केरल देश मालवेसे बहुत दूर है तथापि सम्भव है कि सिन्धुराजने मुञ्जका बदला लेनेके लिए चालुक्य-राज्य पर चढ़ाई की हो और केरल तक अपना दखल कर लिया हो। इसके बाद भोजने भी तो उस पर चढ़ाई की थी।
यह राजा शैव मालूम होता है । इसके मन्त्री रमानन्दका दूसरा नाम यशोमट था ।
९-भोज । इस वंशमें भोज सबसे प्रतापी राजा हुआ । भारतके प्राचीन इतिहासमें सिवा विक्रमादित्यके इतनी प्रसिद्धि किसी राजाने नहीं प्राप्त की। (१) Ep. Ind. i., 293.
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