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भारतके प्राचीन राजवंश
इसकी तलवार गुजरातके राजाकी रक्षा किया करती थी । सामन्तसिंह भवाड़का राजा होना चाहिए । रक्षा करनेसे तात्पर्य शहाबुद्दीन गोरीके साथकी लड़ाईसे होगा, जिसमें सुलतानको हारना पड़ा था।
पृथ्वीराज रासोमें लिखा है:
आबूके परमार राजा सलखकी पुत्री इच्छनीसे गुजरातके राजा भीमदेवने विवाह करना चाहा । परन्तु यह बात सलखने और उसके पुत्र जेतरावने मञ्जूर न की । इच्छनीका सम्बन्ध चौहान राजा पृथ्वीराजसे हुआ। इस पर भीम बहुत क्रुद्ध हुआ और उसने आबू पर चढ़ाई करके उसे अपने अधिकारमें कर लिया। इस युद्धमें सलख मारा गया। इसके बाद पृथ्वीराजने भीमको परास्त करके आबूका राज्य जेतरावको दिलवा दिया और अपना विवाह इच्छनीसे कर लिया। ___ यह सारी कथा बनवटी प्रतीत होती है, क्योंकि विक्रम संवत् १२३६ से १२४९ तक पृथ्वीने राज्य किया था। विक्रम संवत् १२७४ के पीछे तक आबू पर धारावर्षका राज्य रहा । उसके पीछे उसका पुत्र सोमसिंह गद्दीपर बैठा । अतएव पृथ्वीराजके समय आबूपर सलख और जेतरावका होना सर्वथा असम्भव है । इसी प्रकार आबूपर भीमदेवकी चढ़ाईका हाल भी कपोलकल्पित जान पड़ता है; क्योंकि धारावर्ष और उसका छोटा भाई प्रह्लादनदेव दोनों ही गुजरातवालोंके सामन्त थे। वे गुजरातवालोंके लिए मुसलमानोंसे लड़े थे।
वि० सं० १२६५ के कनखलके मन्दिरके लेखसे भी धारावर्षका भीमदेवका सामन्त होना प्रकट होता है।
१५-सोमसिंह। यह धारावर्षका पुत्र और उत्तराधिकारी था; शस्त्र और शास्त्रविद्या दोनोंका ज्ञाता था । इसने शस्त्रविद्या अपने पितासे और शास्त्रविद्या अपने चचा प्रह्लादनदेवसे सीखी थी। इसीके समय वि०सं० १२८७ (ई.
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