________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हैहय वंश |
उसमें इसको केवल महाराजाधिराज लिखा है । वि० सं० १२४० ( ई० स० १९८३ ) के आसपास सोलंकी राजा तैल (तैलप ) तीसरे के पुत्र सोमेश्वरने अपने सेनापति बोम्म ( ब्रह्म ) की सहायता से कलचुरियोंसे अपने पूर्वजोंका राज्य पीछे छीन लिया । कल्याणमें फिर सोलड्डियों का राज्य स्थापन हुआ । वहाँपरसे सिंघणके पीछेके किसी कलचुरी राजाका "लेख अब तक नहीं मिला है ।
कल्याणके हैहयोंका वंशवृक्ष |
१३ - जोगम
२ - पेर्माडि ( परमर्दि ) ३ - विज्जल
४ - सोमेश्वर, ५ - संकम, ६ - आहवमल्ल, ७-सिंघण, ८ वज्रदेव ।
६७
For Private and Personal Use Only