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हैहय वंश। सं० ९३३ ( वि० सं० १२३८-ई० सं० ११८१ ) में विद्यमान था । इसके पुत्रका नाम पृथ्वीदेव था।
१०-पृथ्वीदेव (तृतीय)। यह अपने पिता रत्नदेवका उत्तराधिकारी हुआ । यह वि० सं० १२४७ (ई० स० ११९० ) में विद्यमान थी।
पृथ्वीदेव तीसरेके पीछे वि० सं० १२४७ से इन हैहयवंशियोंका कुछ भी पता नहीं चलता है।
दक्षिण कोशलके हैहयोंका वंशवृक्ष ।
कोकल्लदेवके वंशमें१-कलिङ्गराज २-कमलराज ३-रत्नराज ( रत्नदेव प्रथम ) ५-पृथ्वीदेव ( प्रथम ) ५-जाजल्लदेव ( प्रथम ) चे० सं० ८६६ (वि० सं० ११७१) ६-रत्नदेव ( द्वितीय) ७-पृथ्वीदेव(द्वितीय)चे० सं०८९६, ९१० (वि०सं० १२०२,१२१६) ८-जाजल्लदेव (द्वितीय) चे० सं० ९१९ (वि० सं० १२२४) ९-रत्नदेव ( तृतीय ) चे० सं० ५३३ (वि० सं० १२३८) १०-पृथ्वीदेव ( तृतीय ) वि० सं० १२४७ (१) C. A. R.Vol xVII P. 43. (२) Ep. Ind. Vol. I. P. 49.
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