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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६०२ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [वातव्याधि ८१९८ सर्वेश्वर रसः सुप्त वात | ८५९६ हरगौरी रसः वातव्याधि ८१९९ , , स्पर्श वात ८२३३ सुखभैरव रसः वात व्याधि मिश्र-प्रकरणम् ८३१० स्पर्श वातन्न रसः स्पर्श वात ७७०८ शंकरस्वेदः अंगोंकी वातज पीड़ा ८३११ स्पर्शवातारिरसः स्पर्शवात, शोथ, वातरक्त ८३१५ स्वच्छन्द नायक । ७७२७ शुण्ठ्यादिपायसः कटि शूल और गृध्रसीको समस्त वातव्याधि अवश्य नष्ट करता है। (४८) विद्रधि कषाय--प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् ८४७२ हरीतक्यादि चू० उग्र अन्तर्विद्रधिको ७२२४ शिमूलादि अवश्य शीघ्र ही नष्ट योगः अन्तर्विदधि करता है। (सरल ७२२५ शिग्रवादि कपायः ॥ योग) ७२६४ शोभाञ्जनादि कन्कः , लेप-प्रकरणम् ७२८० श्वेतवर्षाभ्वादि क्वाथः ,, । ७४६६ शिवादि लेपः वातज विधि । ८५६५ हरीतक्यादि , विधि, कञ्ची पक्की प्रन्थि ७८१३ सौभाजनक क० विद्रधिको शीघ्र नष्ट ८७३४ क्षीरकाकोल्यादि करता है। सरल यो० __ लेपः पैतिक विधि । (४९) विरेचनाधिकारः चूर्ण-प्रकरणम् रस-प्रकरणम् ८१८२ सर्वांग सुन्दर रसः रेचक, ज्वर, आमवात ८४७८ हरीतक्यादि योगः मुख विरेचक श्वास नाशक For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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