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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसायन] पश्चमो भागः (चि. प. प्र.) - - . (४५) रसायनवाजीकरणाधिकारः चूर्ण-प्रकरणम् ७९१२ स्तम्भन वटिका स्तम्भक, बल वीर्य वर्द्धक ७२८९ शतावर्यादिचूर्णम् अत्यन्त कामवर्द्धक | ७९१३ स्वयंगुप्तादि ७२९० ,, , बलवर्दक मोदकः अत्यन्त वाजीकरण ७२९१ , , , वीर्यवर्द्धक ७२९२ ,, जरा, व्याधिनाशक, वल अवलेह-प्रकरणम् बुद्धिवर्द्धक ७९३६ सितादि वृष्य ७२९३ " , अत्यन्त कामवईक योगः अत्यन्त वृष्य, बृंहण, ७२९४ , , नपुंस्कता नाशक कण्ठय ७३०८ शुक्रस्तम्भकरं ७९४५ स्तम्भनावलेहः वीर्यस्तम्भक चूर्णम् स्तम्भक ८७२० क्षारगुडः कृशता, निर्बलता, अग्नि७८६१ सूरणादि योगः स्तम्भक सरल योग मांद्य अरुचि,कण्ठ छातीमें ७८८५ स्तम्भक चूर्णम् स्तम्भक स्थित कफ, प्रमेह, वायु, .७८८८ स्वगुप्तादि , अत्यन्त वाजीकरण प्लीहा यकृत् (आहारको ७८८९ स्वयंगुप्तादि, शुक्ररक्षक सरल योग शीघ्र पचाता है।) ८४८० हस्तिकर्णकल्पः जरा नाशक, आयुवर्द्धक, घृत-प्रकरणम् शरीर को दृढ़ करनेवाला ७३६६ शतावरीघृतम् शुक्रशोधक ८४८१ , रसायनम् अत्यन्त वाजीकरण, | ७३६७ , , वृष्य ___ आयुवर्द्धक ७९४७ सप्ताङ्ग , वात कफ नाशक; आयु गुटिका-प्रकरणम् बुद्धि वर्धक ७३३८ शुक्र संजीवनीयो ७९५९ सुकुमारकुमारक मोदकः घृतम् कांति, लावण्य,पुष्टिवर्द्धक बल, वीर्य, तेज वर्द्धक ७३३९ शुक्रस्तम्भकरी तेल-प्रकरणम् वटिका पहर पश्चात् समागम | ७४२६ श्रीगोपालतैलम् अत्यन्त कामवईक, तथा करनेसे ४प्रहरका स्तम्भन ध्वजमंग प्रमेहादि ना. होता है। शक, कान्ति, बुद्धि, मेधा ७९१० स्तम्भन वटिका वीर्य स्तम्भक वर्द्धक ७९११ , , अत्यन्त स्तम्भक For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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