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प्रमेहरोग]
पञ्चमो भागः (चि. प. प्र.)
५८६
८६०५ हरिद्राद्यवलेहः पाण्डु, शोथ
मिश्र-प्रकरणम् ८६८० हंसमण्डूरम् पाण्डु, कामला, अर्श, ८७६७ क्षीरयोगः पाण्डु, शोथ, ग्रहणी हलीमक, ऊरुस्तम्भ
( सरलयोग )
वटी
(३३) प्रमेहाधिकारः कषाय-प्रकरणम्
। ७६०४ शिलाजतुयोगः प्रमेह ७१९२ शतावरीस्वरसः २० प्रकारके प्रमेह ७६०७ ,, ,, लोहः प्रमेह, शुक्रदोप, रक्तदोष, ७२०६ शम्पाकादिगणः प्रमेह, ज्वर, रक्तदोष
ज्वर, मूत्राघातादि. ७२१७ शाल्मलीयोगः समस्त प्रमेह, सरल योग ७६१२ शिलाजत्वादि ८४१७ हरिद्रादिकषायः कफज प्रमेह
शुक्रमेह " ८४५२ हरिद्रादियोगः २० प्रकारके प्रमेहोंको अवश्य नष्ट करता है।। ७६४७ शुक्रमातृवटिका बीस प्रकारके प्रमेह.
मूत्रकृच्छ, अरमरि, ज्वर घृत-प्रकरणम्
७६८१ स्वदंष्ट्रादि लौ० प्रमेह, शोथ, अर्श, पाण्डु ७३७६ शाल्मलीघृतम् शुक्रमेह, क्लीवता,धातुक्षय
८१२७ संजीवनो रसः समस्त प्रमेह नाशक, ७९५७ सिंहामृतघृतम् प्रमेह, मधुमेह, आलस्य,
अत्यन्त क्षुधावर्द्धक क्षय
८१८६ सर्वांगसुन्दर रसः प्रमेह
८२०० सर्वेश्वर रसः समस्त प्रमेह, कष्टसाध्य तैल-प्रकरणम्
मधुमेह ८५३९ हरिद्रादितैलम् २० प्रकारके प्रमेह | ८२९६ सोमेश्वरो रसः प्रमेह, सोपद्रव मूत्रा
घातादि आसवारिष्ट-प्रकरणम् ८५९७ हरगौरीसृष्टी रसः समस्त प्रमेह ७४३८ शारिवाद्यासवः प्रमेह, प्रमेहपिडिका, ८६०८ हरिशंकररसः नीलमेह उपदंश, भगंदर, वातरक्त ८६०९ हरिशंकररसः २० प्रकारके प्रमेहोंको
निस्सन्देह नष्ट करता है। रस-प्रकरणम्
८६१३ हरीतक्यादि ७५९२ जिलाजतुयोगः समस्त प्रमेह
चूर्णम् बहुमूत्र
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