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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [ नेत्ररोग रस-प्रकरणम् । ७७३६ श्वेतकरवीर ८१४९ सप्तामृतलौहम् तिमिर, क्षत, लालरेखा, रसयोगः नवीननेत्राभिप्यन्द नेत्रकंडू, नक्तान्थ्य, नेत्र ७७३७ श्वेतगिरिकण्यादि तोद, दाह, नेत्रशूल, योगः नेत्रपुष्प पटल,काचादि, दन्तरोग, गलरोग । ८३९० सहदेवीमूल ८३८१ स्वर्णादिगुटिका सोपद्रव समस्त नेत्ररोग बानम् नेत्रपीड़ा ८४०२ सैधवाद्याश्च्योमिश्र-प्रकरणम् तनम् , नेत्र शोथ ७७१६ शिग्रुपतरसाइच्योतनम् नेत्रपीड़ा ८४०३ सैन्धवाद्याश्च्यो७७१७ , पत्रादिपिंडी कफज नेत्राभिष्यन्द तनम् , नेत्रदाह, नेत्रकंडू ७७२८ शुण्ट्यादिपिंडी नेत्रशोथ, नेत्रकंडू, पीड़ा । ८६८३ हरिद्राद्याश्च्यो( सरल योग). तनम् कफाभिष्यन्द (३२) पाण्डुरोगाधिकारः चूर्ण-प्रकरणम् रस-प्रकरणम् ८४५० हरिद्रादि चूर्णम् कामला नाशक(सरलयो.) ७५४७ शंखयोगः कामलाको ७ दिनमें नष्ट ८४७० हरीतक्यादि करता है (सरलयोग) कामला, कास, स्वास । ७५९५ शिलाजतुयोगः कामला, क्षय, अपस्मार ( बलवीर्य वर्द्धक ) अवलेह-प्रकरणम् ७६१० शिलाजत्वादि ७९३७ सिताधवलेहः हलीमक कुम्भकामला ८१५८ सम्मोहलौहम् कामला, पाण्डु, शोथ, घृत-प्रकरणम् कृमि, अरुचि ८५२८ हरिद्रादिधृतम् कामला ८२१४ सावित्र वटकः पाण्डु, कामला, कृमि, अञ्जन-प्रकरणम् __ उदररोग, ज्वर, गुल्म ८५९१ हिंङ्ग्वाद्यञ्जनम् कामला नाशक सरलयोग | ८२२६ सिन्दूरभूषण रसः वातजपांडु, कामला । ८२४१ सुधापञ्चक रसः हलीमक For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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