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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir অহমৰিকাৰ } पश्चमो भागः (चि. प. प्र.) - - - - %3 (८) अश्मरिशर्कराधिकारः कषाय-प्रकरणम् ८४५१ हरिद्रादियोगः पुरानी मेढ़शर्कराको शीघ्र ७१९० शतावरीमूलयोगः शर्करा नष्ट करता है । सरल योग ७२०१ शतावर्यादिरसः पुरानी अश्मरी । सरल ८७०८ क्षारयोगः शर्करा योग ७२२० शिक्वाथः कफज अश्मरी शीघ्र नष्ट , होती है। घृत--प्रकरणम् ७२२२ शिग्रमूलादिक्का० अश्मरीपातक ७३७५ शरादिपञ्चमूल- अश्मरि, शुक्रमार्गकी ७२४० शुण्ठ्यादिक्वाथः वातज अश्मरी, गुद घृतम् पीड़ा तथा मेदूगतवायु ७२७४ श्वदंष्ट्रादिक्वाथः अश्मरी रस-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् । ७६०० शिलाजतुयोगः अश्मरी तथा तजन्य मूत्र७३२४ शृङ्गवेरादियोगः पथरी टूटकर शीघ्र नि कल जाती है । (९) आमवाताधिकारः कपाय-प्रकरणम् । ७९२३ सिंहनादगुग्गुलुः कष्टसाध्य आमवात, ७१७४ शठ्यादिकल्क: आमवातको ७ दिन में कास, श्वास, वातरक्तादि नष्ट क ८५२४ हरीतक्यादिगुग्गुलुः आमवात ७१.८२ शठ्यादिक्वाथः आमवात घृत-प्रकरणम् ७२४१ शुण्ठ्यादिश्चा० आमवात, कटिशूल, ७३८६ शृङ्गवेराचं घृतम् आमवात, उदररोग, शरीरपीड़ा कटिग्रह आदि ७३८७ , , आमवात, विबन्ध, शूल चूर्ण-प्रकरणम् ८५१४ हिङ्ग्याचं चूर्णम् आमवात तैल-प्रकरणम् . । ८००५ सैन्धवाद्यं तै० आमवात, पार्श्वशूल, गुग्गुलु-प्रकरणम् बाह्यायामादि आमवात, कटिशूल,, । ८००६ , , ७३४६ शिवागुग्गुलुः आमवात, बहुविध शूल गृध्रसी लेप-प्रकरणम् ७९२२ सिंहनादगुग्गुलुः आमवात । ७४४७ शतपुष्पादिलेपः आमवात For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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