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५६०.
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ अम्लपित्त
तैल-प्रकरणम्
। ८२६१ सूतशेखर रसः अम्लपित्त, वमन, अति७४२८ श्रीबिल्वतैलम् अम्लपित्त, शूल, दाह,
सार, उदावर्त. 1. ज्वर आदि
८२७८ मूर्य पाकताम्रम् अम्लपित्त, पाण्डु, वमन,
स्वा
मोदकः
रस-प्रकरणम् १५४६ शंखभरम शुल, अम्लपित्त,अग्निमांद्य ८३०३ सौभाग्यशुंठि - ७५५२ शंखवटी अम्लपित्त, शल, अजीर्ण.
अम्लपित्त, शूल, कण्ठदाह, ७५५७ शंखादिचणम् ,
हृदाह, गुदपीड़ा " " । ७५६७ शतावरी
८७५० क्षुधावतीगु. ___ अम्लपित्त, शूल, आमण्डूरम् दारुण अम्लपित्त, वमन,
नाहादि शूल, कास
८७५१ ,, , ,, अम्लपित्त, परिणाम शूल, ८१७३ सर्वतोभद्रलौहः सर्व उपद्रव युक्त अम्ल.
भस्मक पित्त, शूल, आम, शोथ,
| ८७५२ ,, ,, , अनेक प्रकारका अम्लवायु आदि
पित्त, शोथ, गुदरोग, ८२१६ सितामण्डूरम् असाध्य अम्लपित्त,तजन्य
आनाहादि। शूल, वमन, दाह, अफारा, पित्तज रुधिर विकार
(५) अरोचकाधिकारः चूर्ण-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ७७४३ षाडवं चूर्णम् रोचक, हृद्य ! कास तथा
८२३७ सुधानिधिरसः सर्व प्रकारकी अरुचि, __ग्रहणी नाशक
भक्तद्वेष,शूल, अग्निमांद्यादि ७८३७ सैन्धवादि चू०. अरुचि, अग्निमांद्य ८४८३ हङ्गुद्वादशकं
८२४८ सुलोचनाभ्रम् समस्त अरुचि, कास, चूर्णम् अरुचि, अजीर्ण
श्वासादि ८४८८ हिड्वादि चू० अरुचि, अफारा, मला
वरोध
८२५९ सूतभस्मयोगः अरुचि गुटिका-प्रकरणम्
८२६० सूतादिगुटिका अचि नाशक, जिहा
शोधक ७९०० सितादिगुटिका अरुचि
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