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भारत-भैषज्य-रत्नाकर
[अतिसार
अवलेह-प्रकरणम्
। ८२४२ सुधासार रसः अन्य किसी औषध से ७९२८ समङ्गाद्यवलेहः रक्तातिसार
आराम न होने वाले अति
सारको भी नष्ट करता घृत-प्रकरणम्
है । आम, आमरक्त, ७७५३ षडङ्गघृतम् भयंकर त्रिदोषज अतिसा- ।
आनाह, हिक्का, अरुचि, रको शीघ्र नष्ट करता है
आदिको २-३ मात्रामें ७९६० सुनिषण्णकचा
नष्ट करता है। ड्रेरी घृतम् त्रिदोषज अतिसार, र- ८३१६ स्वच्छन्द भैरव
क्तस्राव, प्रवाहिका, पि- रसः समस्त घोर अतिसार, च्छातिसार, गुदभ्रंश,
आम, अग्निमांद्य । शोथ, शूल, अन्नग्रह ८६३२ हिंगुलेश्वर रसः अतिसार, प्रवाहिका, प्र८५३७ हीवेरादिघृतम् अतिसार, प्रवाहिका, पि
हणी, अग्निमांद्य च्छातिसार, गुदभ्रंश, शूल . ८६७७ हंसपोटली रसः अतिसार, कास, हिक्का, ८७२१ क्षीरिद्रुमाचं
निर्बलता, ग्रहणी घृतम् रक्तातिसार
मिश्र-प्रकरणम् रस-प्रकरणम्
७७१३ शालिपर्यादिपेया कफपित्तातिसार ७५४३ शंखपोटलीरसः आमातिसार, प्रवाहिका, ७७१४ शालिपादि
अतिसार, कास, श्वास, योगः अतिसार
निर्बलता, अग्निमांध ७७२६ शुण्ठिपुटपाकः सोपद्रव जीर्णातिसार ७५६१ शंखोदर रसः समस्त प्रकारके अति- ७७२९ शुण्ट्यादि - सारों में उत्तम ।
पुटपाकः आमातिसार, (अग्निदीपक) ७६२३ शीघ्रप्रभावरसः अतिसार, वायु, आध्मान, ७७३० , ,, शूल नाशक (दीपन)
मल यागके पश्चात् भी ! ७७३४ श्योनाकादियोगः पश्वातिसार हाजत बनी रहना । ८७७२ क्षीर योगः पुराना अतिसार
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