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गुटिकापकरणम् ]
पञ्चमो भागः
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मुरा मधुरिका मांसी विदारी विश्वभेषजम् ।। शुक्रमातृकावटिका. अनन्तामलकी श्यामा भार्मी करिकगा कणा ।।
( र. र. । प्रमेह.) चातुर्जातं चतुर्बीजं चन्दनं रक्तचन्दनम् । . मुशली वाजिगन्धा च वीज गोक्षुरसम्भवम् ।। |
रस प्रकरणमें देखिये। सर्वाण्येतानि तुल्यानि द्राक्षा सर्वसमा मता।। (७३३८) शुक्रसञ्जीवनीयो मोदका सिता द्राक्षासमा चैवेत्येतानि मधुना सह ।।।
(र. र. । रसायना. ; धन्व. । रसायना.) सम्म मोदकान कृत्वा माषकममितान् भिषक् । एकैकमेषां पयसा प्रातः प्रातः प्रयोजयेत् ।।
विदारीकन्दजं चूर्ण चतुर्दशपलोन्मितम् । बालानां सर्वरोगघ्नं पुष्टिकृद् बलवर्द्धनम् ।
शाखोटबीज द्विपलं लाजा पलचतुष्टयम् ॥ परं वहिकरं मेध्यमायुष्यं ग्रहदोषहत् ॥ .
| सिता पलशतं देयं क्षीरं दत्वा विपाचयेत् । भगवत्यै समुदितं शिवायै लोकमङ्गलम् ।
जातीफलं त्रिजातश्च सशटी ग्रन्थि पर्णिभिः ।।
यमानिका तथा व्योषं प्रत्येकं चूर्ण शुक्तिभिः। एतन्मोदकमीशेन युगे भगवता कृते ।
सिद्धपाके क्षिपेत्सर्वे मोदकं शुक्रजीवनम् ॥ हरीतकी, भुईआंवला, मूर्वामूल, सोया, | समूर्दयति वीर्यश्च तेजोवलकरं परम् ।। हल्दी, दारहल्दी, कौंछके बीज, बलामूल, बेलगिरी, लौंग, शतावर, मुरामांसी, सौंफ, जटामांसी, विदा
बिदारीकन्दका चूर्ण १४ पल, सिहोड़ेके बीज रीकन्द, सोंठ, अनन्तमूल,आंवला, श्यामालता, भारंगी,
२. पल (१० तोले) धानकी खील ४ पल, मिश्री
१०० पल और दूध १०० पल ले कर सबको गजपिप्पली, पिप्पली, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपत्र, मागकेसर, मेथीबीज, हालों के बीज, काला
एकत्र मिलाकर पकावें । जब अवलेहके समान
गाढ़ा हो जाय तो उसे अग्निसे नीचे उतारकर जीरो, अजयायन, श्वेत चन्दन, लाल चन्दन, श्वेत
उसमें २॥ २॥ तोले जायफल, दालचीनी, इलामूसली, असगन्धकी जड़, गोखरुबीज; प्रत्येक सम
यची, तेजपात, कचूर, गठौना, अजवायन, सोंठ, भाग । सम्पूर्ण के समान द्राक्षा द्राक्षाके समान खांड। इन्हें एकत्र मधुसे मर्दन कर १ माशा परिमाण के
मिर्च और पीपलका चूर्ण मिलाकर मोदक बनावें। मोदक बनालें । आयु आदिकी विवेचना करके एक - इनके सेवनसे बल वीर्य और तेजकी वृद्धि मोदक प्रातःकाल दूधके साथ सेवन करावें । यह / होती है । बालकोंके सम्पूर्ण रोगांको नष्ट करता है तथा पुष्टि- ( मात्रा-१ तोला ।) कारक, बलवर्द्धक, जठराग्निप्रदीपक, मेध्य एवं आयुष्य है । इसके सेवनसे ग्रहजनित दोष नष्ट
शुक्रस्तम्भकरा वटकाः होते हैं। शिव ने सतयुग में पार्वती को इस मो.
(र. प्र. सु.) दकका उपदेश किया था ।
रस प्रकरण में देखिये.
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