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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra घृतप्रकरणम् ] www. kobatirth.org पञ्चमी भागः अथ हकारादिघृतप्रकरणम् (८५२८) हरिद्रादिघृतम् ( च. सं. चि. स्था. ६ अ. २० पाण्डवा. ; व. से. ; ग. नि. । पाण्ड्वा. ; च. द.; भै. र. ; वृ. मा. ; यो. र. । पाण्ड्वा.) हरिद्रात्रिफलानिम्बवळामधुकसाधितम् । सक्षीरं माहिषं सर्पिः कामलाहरमुत्तमम् ॥ कल्क - - हल्दी, हर्र, बहेड़ा, आमला, नीमकी छाल, बला ( खैरैटी की जड़ ), और मुलैठी समान भाग मिश्रित २० तोले लेकर पानीके साथ बारीक पीस लें । क्वाथ - - उपरोक्त वस्तुएं समान भाग मिश्रित २ सेर लेकर १६ सेर पानी में पकावें और ४ सेर रहने पर छान लें। २ सेर भैंस के घीमें उपरोक्त कल्क और काथ तथा ४ सेर गोमूत्र मिलाकर मन्दानि पर पकावें । जब जलांश शुष्क हो जाए तो घीको छान ले 1 यह घृत कामलाको नष्ट करता है । ( मात्रा -- १-२ तोला । ) (८५२९) हरीतक्यादिघृतम् ( व. से. । हृद्रोगा. ) हरीतकी पुष्कर नागराहयैadrस्थालवणैश्च कल्कैः । सहिङ्गुभिः साधितमेव सर्पिहितञ्च हृत्पार्श्वगदेऽनिलोत्थे ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६१ कल्क-- हर्र, पोखरमूल, सांठ, जौ, आमला, सेंधा नमक और हींग, समान भाग मिश्रित २० तोले लेकर पानी के साथ पीस लें । २ सेर घी में यह कल्क और ८ सेर पानी मिलाकर मन्दाग्नि पर पकायें। जब पानी जल जाय तो घीको छान है । यह घृत वातज हृद्रोग और पार्श्व शूलादिमें उपयोगी है। (मात्रा -१ से दा तोले तक । ) (८५३०) हवषादिघृतम् र. ; ( च. सं. । चि. स्था. ६ अ. ५ गुल्मा. ; वृ. मा. ; धन्व. ; र. र. । गुल्मा. २९ ; ग. नि. । घृता. १; वा. भ. । चि. अ. १४ गुल्मा. ; व. से. । गुल्मा. ) For Private And Personal Use Only हषा व्योषपृथ्वीकाचव्य चित्रक सैन्धवैः । साजाजीपिप्पलीमूलदीप्यकैर्विपचेद् घृतम् ॥ मातुलुङ्गदधिक्षीरकोलमूलकदाडिमैः । रसैस्तद्वातगुल्मानं शूलानाहविमोक्षणम् ॥ योन्यर्शो ग्रहणीदोषश्वासका सारुचिज्वरान् । वातहृत्पार्श्वशूलश्च घृतमेतद्वयपोहति ॥ कल्क - - हपुषा, सोंठ, मिर्च, पीपल, हिगुपत्री ( पाठान्तरके अनुसार मुनक्का ), चव, चीतामूल, सेंधा नमक, जीरा, पीपलामूल और अजवायन समान भाग मिलित २० तोले लेकर पानीके साथ 'बारीक पीस लें I
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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