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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कषायप्रकरणम् ] पञ्चमो भागः इसमें काली मिर्चका चूर्ण मिलाकर पीनेसे द्राक्षा, खजूर, पियाल, (चिरौंजी), बेर, शोथातिसार नष्ट होता है। | दाडिम, कठूमरका फल, फालसा, ईख, जो और (७२६३) शोथहरो दशको महाकषायः | | मुलैठो; ये दश ओषधियां श्रमनाशक हैं । (च. सं. । सू. अ.४.) (७२६७) श्रीखण्डादि कषायः (१) . ___पाटलामिमन्यबिल्वश्योनाककाश्मर्यकण्टकारिकाचहतीशालपर्णीपृश्निपर्णी गोक्षुरका (ग. नि. । ञ्चरा.) इति दशेमानि शोथहराणि भवन्ति । श्रीखण्डयष्टीमधुकाफजङ्घाः ___पाटला, अरणी, बेल, अरलु, खम्भारी, श्रीपर्णिकापपेटमुस्तद्राक्षाः । कटेली, बड़ी कटेली, शालपर्णी, पृष्टपर्णी, और खजूरकोशीरयुगान्विताश्च गोखरु; ये दश ओषधियां (दशमूल ) शोथ पित्तवरे शर्करया कपायः॥ नाशक हैं। ___चन्दन, मुलैठी, काकजंघा, गंभारी, पित्तपा(७२६४) शोभाञ्जनादिकल्कः पड़ा, नागरमोथा, द्राक्षा, खजूर और दो प्रकारको ( भा. प्र. । म. खं. २ विध्य. ; वृ. मा.) । खस समान भाग ले कर क्वाथ बनावें। शोभाअनकनिहो हिसैन्धवसंयुतः। __ . इसमें खांड मिलाकर पीनेसे पित्त ज्वर नष्ट हन्त्यन्तर्विद्रधिं शीघ्रं पातः प्रातर्विशेषतः॥ | होता है। सहजनेकी जड़के. रसमें होंग और सेंधानमक मिला कर सेवन करनेसे अन्तर्विदधि शीघही नष्ट -- (७२६८) श्रीखण्डादिकषाय: (२) हो जाती है। ( ग. नि. । कासा. १०) (७२६५) श्यामादिकषायः (व. से. । नेत्र रोगा.). श्रीखण्डयष्टीमधुशालिपी पाठापटोलेन्द्रयवा बृहत्यौ । श्यामामूलं कषायं वा मधुना व्रणशुक्रिणाम् । काली निसोतके क्वाथमें शहद मिला कर . मूर्वागुडूची कटुका कषायः पीनेसे नेत्रोंका सत्रण शुक्र नष्ट होता है। " क्षयोत्थकासे च सपिप्पलीकः ॥ (७२६६) श्रमहरो दशको महाकषायः . चन्दन, मुलैठी, शालपर्णी, पाठा, पटोल, . (च. सं. । सू. अ. ४) | इन्द्रजौ, छोटी और बड़ी कटेलो, मूर्वा, गिलोय और कुटकी समान भाग ले कर काथ बनावें। केक्षु यवयष्टिका मत दशेमानि श्रमहराणि । इसमें पीपलका चूर्ण मिला कर सेवन करनेसे भवन्ति । | क्षयकी खांसी नष्ट होती है । For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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