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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसमकरणम् ] पञ्चमो भागः चूर्ण और धतूरेके बीजोंका चूर्ण समान भाग ले (८१४४) सन्निपातान्तकरसः (१) कर सबको एकत्र खरल करके ३ दिन भांगके (र. रा. सु..। सन्निपाता.) पत्तोंके रसमें खरल करके सुखा लें। मात्रा-२ रत्ती । मृत सूतं समं गन्धं दरदं शुद्धखर्परम् । .. इसे पानमें रख कर खिलाना और ऊपरसे | रसस्य द्विगुणौ देयौ मृतताम्राम्लवेतसौ ॥ आकको जड़का काथ पिलाना चाहिये । जम्बीरोत्थैवैमर्थ भूधरे पाचयेल्लघु ।, | हिङ्गुत्रिकटुकपूरं पश्चैतानि समं समम् ॥ यह सन्निपात और उससे उत्पन्न होने वाले वातज, पित्तज तथा विशेषतः कफज विकारोंको पूर्वस्यैतत्समं चूर्णमाकस्य द्रवैः सह । नष्ट करता है। महाराष्ट्री च निर्गुण्डी जयन्ती पिप्पली द्वयम्॥ शृङ्गराजद्रवैर्भाव्यं प्रत्येकं भावना पृथक् । (८१४३) सन्निपातहररसः दातव्यं तच्चतुर्गुञ्जमादकस्य द्रवैः सह ॥ . ( रसे. सा. सं. । सन्निपाता.) सन्निपातं निहन्त्याशु सन्निपातान्तको रसः॥ शुद्धं सूतं टङ्कणं वै मरीचं पारद भस्म, शुद्ध गन्धक , शुद्ध हिंगुल और व्योषं तद्वद्धस्तिनः पिप्पली च। शुद्ध खपरिया १-१ भाग तथा ताम्र भस्म और सर्व तुल्यं धर्तनीरैः प्रपेष्य अम्लवेतका चूर्ण २-२ भाग लेकर सबको एकत्र व्योपक्षोदैरकनारैर्द्विगुअम् ॥ | मिलाकर जम्बोरी नीबूके रसमें खरल करके भूधरशुद्ध पारा (रससिन्दूर), सुहागेकी खील, | पुटमें हल्की आंच दे कर पका। तदनन्तर उसके काली मिर्च का चूर्ण, सेठ, काली मिर्च, पीपल और स्वांगशीतल होने पर उसमें से औषधको निकालगजपीपलका चूर्ण १-१ भाग ले कर सबको वो कर खरल करलें और फिर हींग, सोंठ, मिर्च, एकत्र मिला कर धतूरेके रसमें खरल करके सुखा लें। पीपल और कपूर; इनके समान भाग चूर्णको एकत्र मिलालें और यह मिश्रण उपरोक्त तैयार रसके इसे त्रिकुटेके (१ माशा) चूर्ण और आककी बराबर लेकर दोनोंको एकत्र मिलाकर अदरक, जड़के क्वाथके साथ सेवन कराने से सन्निपात ज्वर महाराष्टी (जलपीपल ), संभाल, जयन्ती, पीपल, नष्ट होता है। गजपीपल और भंगरे के रसको पृथक् पृथक् १-१ मात्रा-२ रत्ती । भावना दें। सन्निपाताञ्जनरसः मात्रा-४ रत्ती। (र. प्र. सु. । अ. ८) इसे अदरकके रसके साथ देने से सन्निपातका अञ्जनप्रकरणमें देखिये । | शीघ्र ही नाश हो जाता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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