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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [पकारादि - - अथ षकारादिचूर्णप्रकरणम् (७७४२) षड्धरणयोगः (षट्चरणयोगः) | धान्यसौवर्चलाजाजीत्वगेलाश्चार्धकार्षिकाः । ( भा. प्र. म. खं. २ ; वृ. नि. र. : वृ. मा.। | कोलदारिमवृक्षाम्लयवान्यश्चाम्लवेतसः । वातव्या. ; यो. चि. म. । अ. २ | कार्षिकांपूर्णयेत्सर्वान् हृद्यं त्वन्नमरोचकम् । ग. नि. । वाता. १९; व. प्लीहग्रहणीदोषपञ्चकासनिबर्हणम् ॥ से. । वातव्या.) पीपल १०० नग, काली मिर्च २०० नग, चित्रकेन्द्रयवौ पाग कटुकातिविषाऽभया । मिश्री २० तोले, सेठ २॥ तोले तथा धनिया, आमाशयोत्यवातघ्नं चूर्ण पेयं सुखाम्बुना ।। सञ्चल, जीरा, दालचीनी और इलायची आधा योगेऽस्मिन्भिषजाग्राह्याः षण्णांषधरणापृथक् । आधा कर्ष (प्रत्येक ७॥ माशे ) एवं बेर, अ नारदाना, तिन्तड़ीक, अजवायन और अम्लबेत दिनेषु षट्स दातव्यास्तेन षड्धरणः स्मृतः॥ ११-१। तोला ले कर यथा विधि चूर्ण चीता, इन्द्रजौ, पाठा, कुटकी, अतीस और बनावें। हरं १-१ धरण (४-५ माशे) ले कर चूर्ण यह चूर्ण हृय, रोचक तथा प्लीहा, ग्रहणीबनावें । इसमेंसे नित्य १ धरण चूर्ण मन्दोष्ण दोष, और पांच प्रकारकी कासको नष्ट करने जलके साथ सेवन करनेसे आमाशयगत वायुका वाला है। नाश होता है। ( मात्रा--२-३ माशे । ) _इस योगमें ६ ओषधियां हैं और प्रत्येक (७७४४) षाडवं चूर्णम् (२) ओषधि १-१ धरण ली जाती है अर्थात् सम्पूर्ण | (च. सं. । चि. अ. १६) योगका भार ६ धरण होता है और ६ दिन तक एका षोडशिका धान्यावे द्वेऽजाज्यजमोदयोः। १-१ धरण चूर्ण सेवन किया जाता है इसी लिये | ताभ्यां दाडिमक्षाम्लाविर्द्विः सौवर्चलात्पलम् ॥ इसे “ षडधरण" कहते हैं (इस योगमें ६ चरण | शुण्ठया कर्ष दधित्थस्य मध्यात्पश्चपलानि च। अर्थात् अङ्ग हैं इससे इसे 'षट्चरण ' भी | तच्चूणे षोडशपले शकराया विमिश्रयेत् ॥ कहते हैं।) पाडवोऽयं प्रदेयः स्यादनपानेषु पूर्ववत् । (७७४३) षाडवं चूर्णम्(१) मन्दानले शकुद्रेदे यक्ष्मिणामग्निवर्द्धनः ॥ धनिया ५ तोले; जीरा और अजवायन (ग. नि. | चूर्णा. ३ ) | १०-१० तोले, अनारदाना और तिन्तडीक पिप्पलीनां शतं चैक द्वे शते मरिचस्य च। ४०-४० तोले, काला नमक ५ तोले, सेठ १। सिता पलचतुष्कं च नागरार्धपलं तथा ॥ तोला और कैथका गूदा २५ तोले ले कर यथा For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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