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शीतपित्त]
चतुर्थों भागः (५४) शीतपित्ताधिकारः
कषाय-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ५८३१ यवान्यादियोगः शीतपित्त
५७३१ यष्ट्यादि काथः शीतपित्त
(५५) शूल
योगः
५०२४
"
"
"
पसली
"
कपाय-प्रकरणम् | ५१४८ मुस्तादि चूर्णम् कफजशूल, आम ५०२२ मातुलुङ्गरसादि पसली और हृदयका | ५७४६ यमान्यादि , वातजशूल
शूल, अपान वायुका ५७५३ यवक्षारादि , शूल, गुल्म, अग्निमांद्य रुकना, मलावरोध ५७५९ यवान्यादि , शूल
५९१९ रुचकादि ,, पार्श्वशूल, विसूचिका बस्तिका शूल (सरल | ६२२९ लवण योगः कफजशूल, योग)
६५७७ वचादि चूर्णम् समस्त प्रकारके शल ५०२५ , , , , कफजशूल, यकृत्क्षय ६६३४ विश्वादि , , , ,
जन्यशूल ५८५७ रसोनयोगः वातकफजशूल, (अग्नि
गुटिका-प्रकरणम् दीपक)
६६७२ विडंगादिमोदकः त्रिदोषज परिणामशल ६५२९ विदार्यादियोगः त्रिदोषज शूल
। ६६७४ विश्वादिवटी शूल, अग्निमांध, वायु ६५३३ विश्वादिकषायः शीघ्र शूलनाशक ६५३४ , , शूल
अवलेह-प्रकरणम् ६५४२ , , हृदय, पार्श्व, आमाशय
और पक्वाशयका शूल ६२५९ लशुनयोगः आमशूल ६५६८ व्याघ्यादि , हृदय, कुक्षि और पसलीका कफज शूल
लेप-प्रकरणम्
५३४४ मदनफलादिलेपः शूल चूर्ण-प्रकरणम्
५३४६ मदनादि , , ५१०७ मन्दारमूलिकाचं वातज शल | ५८०६ यवपिष्टलेपः दुस्तर उदर शूलको भी
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