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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८८४ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [वातव्याधि ५९१७ रास्नाचं , त्वक, अस्थि, स्नायु ६७५४ विन्दुसारायं ,, कटिस्तम्भ, दारुणयोनि और सन्धिगत वायुको शूल,बस्तिगत वायु आदि शीव नष्ट करता है ६६४० वृद्धदार्वादि ,, ऊरुस्तम्भकी पीड़ा तैल-प्रकरणम् ५२९१ महाकल्याणक धनुस्तम्भ, अर्दित, गुग्गुलु-प्रकरणम् तैलम् कम्प, कुब्जता ५७८० योगराजगुग्गुलुः समस्त वातज रोग, | | ५३०० महा बला , आमवात, गृध्रसी, आ(महा) अश, अपस्मारादि ढयवात ५७८१ योगराजगुग्गुलुः समस्त वातज रोग ५३०१ महा बलाचं ,, अर्दित, भग्न, आमवात, (महा) पक्ष संकोच, शरीरका ५९३१ रास्नादि , गृध्रसी सूखना, मन्यास्तम्भादि ५९३२ , , वातव्याधि, शिरोरोग, ५३०४ महा माष , अर्दित, हनुग्रह, अप___ कर्णरोग, नाडीव्रण बाहुक, गृध्रसी, मन्या६६९१ विश्वादि , विभ्रम वायु स्तम्भादि, व्यायाम ज६६९२ , , कम्पवायु, गृध्रसी, शूल नत सन्धि शैथिल्य. पाक-प्रकरणम् ५३०५ ,, . पक्षाघात, अपतन्त्रक, ५९३५ रसोन पोकः बहिरायाम, अन्तरायाम, अर्दित, अपबाहुक, विअपस्मार, अपतन्त्रक, श्वाची आदि आनाह ५३०८ महा सुगन्धि वातव्याधमें शीघ्र प्रआढयवात, हनुग्रह, लक्ष्मीविलास तैलं भावशाली, पुष्टिकान्ति आक्षेप, सन्धिभग्न,कटि मेधा, बुद्धिवर्धक स्तम्भ इत्यादि. ५३१२ माष , पक्षाघात , अर्दित, भयंकर घृत-प्रकरणम् कर्णशूल, ऊर्ध्व जत्रुगत ५२६२ मुण्डयादिघृतम् वात व्याधि समस्त रोग ५९४१ रास्नादि , समस्त वातज रोग ५३१४ ,, , अर्दित, मन्यास्तम्भ, ५९४७ रास्नाचं पक्षाघात, गृध्रसी, ककष्ट साध्य वातव्याधि र्णशूल और शुक्रक्षय ५३१५ मोष , अंगसंकोच ५३१३, (वृहद) ५९४८, For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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