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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [बालरोग ५१५४ मूर्वाद्युद्वर्तनम् शरीरको पुष्ट तथा ग्र घृत-प्रकरणम् होंको नष्ट करता है। ५७९७ यष्टयाधं घृतम् बाल शोष ५१५५ , , ग्रहदोष | ५९४३ रास्नादि , बल वर्ण वर्द्धक, ग्रहनाशक ५७६४ यवान्यादिचूर्णम् संग्रहणी ५९४६ रास्नाद्य , पौष्टिक ५९०४ रजन्यादि , संग्रहणी, वातज पीड़ा, ५९५१ रोहिण्यादि ,, ,, पाण्डु, चरातिसार | ६२७३ लाक्षाधं , विसर्प और गण्डमालामें ६२२० लवङ्गचतुःसमम् आमातिसार, शूल अत्युपयोगी ६२४० लाजादि चूर्णम् प्रवाहिकाको शीघ्र नष्ट | ६७२५ वचादि , दन्तोद्भेदगदान्तक, दांत करता है। आसानीसे निकल आते ६२४२ लोधादि योगः अतिसार ६२४३ , , ज्वरातिसार तैल-प्रकरणम् ६५८४ वचादि चूर्णम् स्कन्दग्रह ६७७३ वचादि सूर्यपोक पौष्टिक, अनेक रोग ६६१४ विडङ्गादि ,, अतिसार तैलम नाशक ६६६१ व्योपाद्यं , कास ६७७४ वचाद्य बालशोष ६८२७ व्याघ्री , बालज्वर, कास, स्व- अवलेह-प्रकरणम् ग्विकार ५२०१ मिश्यादि लेहः वमन, खांसी, ५२०३ मूर्वाद्यवलेहः स्तन्य विकार लेप-प्रकरणम् बाल शोथ ५७८४ यवान्यादिलेहः छर्दि, अतिसार, ज्वर । ५४१६ मुस्तादि लेपः | ६००० रेचन योगः रेचक ५७८५ यष्ट्यादिलेहः ज्वर ५९३३ रक्तप्रवाहिका रक्त प्रवाहिका धूप-प्रकरणम् ___ न्तकलेहः | ५४२८ मर्केटपुरीषादिधूपः स्कन्दापस्मार ५९३४ रजन्योदिलेहः अतिसार, ज्वर, श्वास, | ५४३४ माहेश्वर धूपः ग्रहदोष पाण्डु ६२६४ लोध्राद्यवलेहः ज्वरातिसार अञ्जन-प्रकरणम् ६७२३ व्याघ्यायवलेहः पुरानी खांसी ५४४४ मनःशिलाद्यावर्तिः समस्त नेत्र रोग ६०१९ रोनाद्यञ्जनम् " ," For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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