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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[बालरोग
५१५४ मूर्वाद्युद्वर्तनम् शरीरको पुष्ट तथा ग्र
घृत-प्रकरणम् होंको नष्ट करता है।
५७९७ यष्टयाधं घृतम् बाल शोष ५१५५ , , ग्रहदोष | ५९४३ रास्नादि , बल वर्ण वर्द्धक, ग्रहनाशक ५७६४ यवान्यादिचूर्णम् संग्रहणी ५९४६ रास्नाद्य , पौष्टिक ५९०४ रजन्यादि , संग्रहणी, वातज पीड़ा, ५९५१ रोहिण्यादि ,, ,,
पाण्डु, चरातिसार | ६२७३ लाक्षाधं , विसर्प और गण्डमालामें ६२२० लवङ्गचतुःसमम् आमातिसार, शूल
अत्युपयोगी ६२४० लाजादि चूर्णम् प्रवाहिकाको शीघ्र नष्ट | ६७२५ वचादि , दन्तोद्भेदगदान्तक, दांत करता है।
आसानीसे निकल आते ६२४२ लोधादि योगः अतिसार ६२४३ , , ज्वरातिसार
तैल-प्रकरणम् ६५८४ वचादि चूर्णम् स्कन्दग्रह
६७७३ वचादि सूर्यपोक पौष्टिक, अनेक रोग ६६१४ विडङ्गादि ,, अतिसार
तैलम नाशक ६६६१ व्योपाद्यं , कास
६७७४ वचाद्य
बालशोष
६८२७ व्याघ्री , बालज्वर, कास, स्व- अवलेह-प्रकरणम्
ग्विकार ५२०१ मिश्यादि लेहः वमन, खांसी, ५२०३ मूर्वाद्यवलेहः स्तन्य विकार
लेप-प्रकरणम्
बाल शोथ ५७८४ यवान्यादिलेहः छर्दि, अतिसार, ज्वर । ५४१६ मुस्तादि लेपः
| ६००० रेचन योगः रेचक ५७८५ यष्ट्यादिलेहः ज्वर ५९३३ रक्तप्रवाहिका रक्त प्रवाहिका
धूप-प्रकरणम् ___ न्तकलेहः
| ५४२८ मर्केटपुरीषादिधूपः स्कन्दापस्मार ५९३४ रजन्योदिलेहः अतिसार, ज्वर, श्वास, | ५४३४ माहेश्वर धूपः ग्रहदोष
पाण्डु ६२६४ लोध्राद्यवलेहः ज्वरातिसार
अञ्जन-प्रकरणम् ६७२३ व्याघ्यायवलेहः पुरानी खांसी ५४४४ मनःशिलाद्यावर्तिः समस्त नेत्र रोग
६०१९ रोनाद्यञ्जनम् " ,"
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