SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 850
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षय, राजयक्ष्मा] चतुर्थों भागः ८४७ ६१५१ रास्नादि लौहम् राजयक्ष्मा नाशक, ६९३७ वज्रशेखर रसः १ मासमें क्षयको नष्ट बलवर्णाग्नि वर्द्धक। कर देता है। ६१५५ रुद्र रसः मृगाङ्कके समान ६९३९ वजेश्वर रसः क्षयको अत्यन्त शीघ्र ६१६८ रौप्य रसायनम् क्षय, पित्तरोग नष्ट करता है। ६३३५ लक्ष्मीविलासरसः राजयक्ष्मा, शुक्रक्षय, ६९६९ वसन्ततिलकरसः क्षय, प्रमेह, हृद्रोग ज्वरादि शोथ, प्रतिश्याय, | ७०१२ वासावलेहः उग्रराजयक्ष्मा, रक्त. अग्निमांद्य (वृहद् ) पित्त, पार्श्व शूल वगा ६३५० लवङ्गादि चूर्णम् राजयक्ष्मा, धातुक्षय, प्लीहा (वृद्ध) अरुचि, हिक्को, अति- ७०३३ विडङ्गादिचूर्णम् उग्र राजयक्ष्मा सार, स्वरभंग | ७०५५ विन्ध्यवासीयोगः उग्र राजयक्ष्मा, उरः६३७३ लोक नाथ रसः क्षय, अतिसार, क्षत, कण्ठ पोड़ा कृशता, अरुचि ७१०२ वृहच्चन्द्रामृतरसः क्षय ६३७७ , , , क्षयको ४० दनमें | ७१०९ वृहत्काञ्चनाभ्ररसः क्षय, श्वास, प्रमेह नष्ट कर देता है । । ७१११ वृहत्क्षयकेसरी ,, क्षय आदि अनेक रोग ६३८० , , , कृशता नाशक, कास ७१२१ वैक्रान्तरसायनम् क्षय, उरःक्षत, ग्रहणी और हिचकीको ३ दिन ७१२८ वैद्यनाथ रसः क्षय में नष्ट कर देता है। | ७१४३ व्योषादि चूर्णम् क्षय ६३८२ लोकेश्वर रसः पौष्टिक, अनेक रोग मिश्र-प्रकरणम् ] ५८४६ यवादि चूर्णम् क्षय नाशक (१९) गण्डमालागलगण्डाधिकारः कपाय-प्रकरणम् गुग्गुलु-प्रकरणम् ६४८९ वरुणमूलक्वाथः पुरानी गण्डमालाको ६६९५ व्योषोदिगुग्गुलुः गण्डमाला, गलग्रन्थियां भी शीघ्र नष्ट कर घृत-प्रकरणम्. देता है। ६७२७ वचाद्यं घृतम् पुरानी गण्डमाला, गल गण्ड, कास For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy