________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ उदावत
उदावर्त ।
उदावर्त, वातज-गुल्म,
मिश्र-प्रकरणम्
५८४४ यवक्षारादि
- यवागू ५६८७ मदनादि फल अफारा, गुदपीड़ा,
| ६४४७ लशुन क्षीरम वतिः उदावर्त, वायु
- *(१२) उपदंशाधिकारः
शोथ
कपाय-प्रकरणम्
५९८३ रसांजनादि लेप उपदंशके व्रण ५७२९ यवासकादि उपदंशके त्रण | ६३१६ लोध्रादि , , , प्रक्षालनम्
६३२१ लोहादि , , ,
६८४३ वटपरोहादि ,, , , गुटिका-प्रकरणम् ५१६९ महाक्षारवटी उपदंश
रस-प्रकरणम् गुग्गुलु-प्रकरणम्
६०४८ २सकर्पूरगुटिका उपदंश
६०४९ , योगः उपदंश ( मुख पाक ६६८८ वरादि गुग्गुलुः उपदंश वग, रक्तदोष
__ नहीं होता)
६०५५ रस गन्धकतैल-प्रकरणम्
- कजलीयोगः उपदंश ५२७८ मधुकादितैलम् उपदंशके व्रण ६०५७ रस गुग्गुलुः उपदंश, कुष्ट, वातज
व्रण लेप-प्रकरणम्
६०८० रसमर्दनयोगः हाथों पर मलनेसे उप५४२६ मोचरसादि लेपः उपदंशके व्रण, गर्मी
दंश नष्ट होता है। ५९८१ रसाञ्जनादि , दुर्गन्धि पोप और खाज ६०९४ रस शेखरः उपदंशके व्रण, वाले उपदंशके वण
विस्फोटक
For Private And Personal Use Only