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उदररोग]
चतुर्थों भागः
५१२० महाक्षारः गुल्म, प्लीहा, आदि।
(विरचन होकर आम ५९२२ रोहित्कादियोगः प्लहा, गुल्म, कृमि ।
और कृमि निकल जातेहैं) ६५९१ वडवानल क्षारः उद्ररोग, गुल्म, शूल. ६०६७ रस पर्पटी उदर रोग, गुल्म, आम ६६२६ विशालादिचूर्णम् उदर रोग
शूल, मल | ६९१६ बङ्गेश्वर रसः प्लीहा, उदर रोग, गुल्म घृत-प्रकरणम्
६९२९ वज्रघन रसः समस्त उदर रोग
७१३५ वैश्वानर रसः
उदर रोग ५७८९ यवादिघृतम्
जलोदर ६७३८ वहिषट्प्रस्थवृतम् वातोदर, जलोदर. तीहा ७१४१ वैश्वानरी वटी कफोदर
तैल-प्रकरणम् ६२८३ लशुन तैलम् उदर रोग, यकृत् ,
____ प्लीहा, आमवात ।
रस-प्रकरणम् ५५७३ महावीर रसः समस्त उदर रोग
(विरेचक) ५५७४ महावह्नि रसः उदर रोग, मूढवात
(विरेचक) ५६६९ मेघनाद रसः शोथोदर, जलोदर,
मिश्र-प्रकरणम् ५६९७ महा द्रावकम् प्लीहा, यकृदादि ५६९८ ,, ,, गुल्म, उदर, यकृत,
प्लीहा ५६९९ , द्रावकरसः समस्त प्रकारके पुराने
उदर, गुल्म, शोथ,
यकृत् , प्लीहादि ५७०२ मान मण्डः वातोदर, शोथ, ग्रहणी,
पाहु ६१७४ रम्भाक्षार सिद्ध ३ दिनमें उदररोगको
विलेपी नष्ट करती है।
(११) उदावर्ताधिकारः
घृत-प्रकरणम् ५२६५ मूलकाद्यं घृतम् उदावर्तको अवश्य नष्ट
करता है। ६७५५ विश्वादि घृतम् उदावते, चर, गुल्म
तैल-प्रकरणम् ६२८३ लशुन तैलम् उदावर्त, उदर
लेप-प्रकरणम् ६८५० वल्मीकादि लेपः उदावर्त नाशक, वाता
नुलोमन
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