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अश्मरि ]
६४९७ वरुणादिक्वाथः घोरतर, पत्थर के समान
कठिन और पीड़ादायक अश्मरि; अग्निमांद्य
६५६० वृहद्वरुणादि अश्मरी, बस्ति और मूत्रनलीकी पीड़ा
क्वाथः
चूर्ण-प्रकरणम्
५९०२ रजन्यादि चूर्णम् पुरानी और प्रवृद्ध शर्करा
६५९८ वरुणादि
६७०० वरुणक गुडः
५८७३
५८८०
५८८१
५८८२
૧૦૫
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39
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. अवलेह - प्रकरणम्
कषाय-प्रकरणम्
५०१४ महौषधादिक्वाथः सशोथ आमवात, कटि पीड़ा ५८६७ रास्नादि क्वाथः आमवात, उरुस्तम्भ,
जठररुजा
अनेक प्रकारकी सन्धि
पीड़ा, आमवात.
आमवात
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12
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चतुर्थी भागः
कठिन अमरीको भी ष्ट करता है ।
अश्मरीको शीघ्र निकाल देता है ।
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सर्वांगगत तथा सप्तधातुगत आमवात
६७३५ वरुणाद्यं
(९) आमवाताधिकारः
घृत-प्रकरणम्
५७९० यवादि घृतम्
अश्मरी
६७३३ वरुणादि शर्करा, अश्मरी,
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तैल-प्रकरणम्
६७८२ वरुणाद्यं तैलम् शर्करा, अश्मरी, मूत्र
कृच्छ्र; शूल
६८१६ वीरतर्वादि
५८८६ रास्नादि काथ:
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५८९० रास्ना पञ्चकम
८३३
रस-प्रकरणम्
५४६८ मञ्जिष्ठादिचूर्णम् अश्मरीको अवश्य निकाल देता है ।
५८९२ रास्ता सप्तकम्
त्रकृच्छ्र
कफज अश्मरी
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मू
५८८८ रास्नादिदशमूलम् आमवात
५८८९ रास्नाद्वादशक - जानुस्थित आमवात,
कषायः
कटि ऊरु और त्रिक
पीड़ा
सशल आमवात, पार्श्व
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पीड़ा
आमवात, सन्ध्यस्थि मज्जागत वायु आमवात, जंघा उरु पृष्ठ पार्श्व और त्रिशल