SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 769
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ७६६ www.kobatirth.org भारत - भैषज्य रत्नाकरः (७०३६) विडङ्गादिलौहम् (२) ( भै. र. । आमवा. ) वज्रपाण्डादिलौहानां ग्राह्यं पञ्चपलं शुभम् । चूर्ण मृताभ्रकस्यापि लौहार्द्धं पारदं तथा ॥ त्रिगुणा त्रिफला ग्राद्या लौहाभ्राच्छोडषैर्जलैः । पक्त्वाष्टभागशेषन्तु ग्राह्यं काथजलं ततः ॥ तेन लौहाम्रचूर्णञ्च पुन: पाच्यं समं घृतम् । शतावर्या रसञ्चैव क्षीरञ्च द्विगुणं रसात् ॥ ater पचेroff पात्रे चायसि ताम्रके । पचेत्पाकविधिज्ञस्तु वह्निना मृदुना शनैः ॥ सिद्धे च प्रक्षिपेतान् विडङ्गादियथोदितान् । विडङ्गं नागरं धान्यं गुडूचीसवजीरकम् ॥ पलाशवीजं मरिचं पिप्पली हस्तिपिप्पली | त्रिता त्रिफला दन्ती एला चैरण्डकं तथा ।। चविका ग्रन्थिकं चित्रं मुस्तकं वृद्धदारकम् । सर्वेषां चूर्णमेतेषां लौहाभ्रसभं भवेत् ॥ आमवात गजेन्द्रस्य केशरी विधिनिर्मितः । आमवातञ्च शोधञ्चाप्यग्निमान्धं हलीमकम् || कामलां पाण्डुरोगञ्च हन्याद् द्रव्यं रसायनम् ॥ ३७॥ - ३७॥ तोले हर्र, बहेड़े और आमले - को एकत्र कूट कर ४५ सेर पानी में पकावें और आठवां भाग शेष रहने पर छान लें। तत्पश्चात् उसमें २५ तोले लोह भस्म और १२|| तोले अभ्रक भस्म, ७५ तोले घी, ७५ तोले शतावरका रस और १५० तोले गोदुग्ध मिला कर लोहे या कुलई की हुई ताम्रकी कढ़ाई में मन्दाग्नि पर पकावें । जब अवलेह तैयार हो जाय तो उसे 1 अग्निसे नीचे उतार कर उसमें निम्न लिखित ओषधियोंका प्रक्षेप मिला कर सुरक्षित रक्खे । [वकारादि प्रक्षेप - रस सिन्दूर १२|| तोले, तथा बायबिडंग, सांठ, धनिया, गिलोय का सत, जीरा, पलाशचीज, काली मिर्च, पीपल, गजपीपल, निसोत, हर्र, बहेड़ा, आमला, दन्तीमूल, इलायची, अरण्डमूल, चव, पीपलामूल, चीता, नागरमोथा और बायबिडंग; इनको समान भाग मिश्रित चूर्ण ३७ ॥ तोले । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसके सेवन से आमवात, शोथ, अग्निमांद्य, हलीमक, कामला और पाण्डु रोगका नाश होता है। (७०३७) विडङ्गादिलौहम् (३) (र. रा. सुं; रस. सा. सं.; र. र.; च. द. ; धन्व. ; र. च । पाण्डवा. ) विमुस्तत्रिफला देवदारुषडूषणैः । तुल्यमात्रमयश्चूर्ण गोमूत्रेऽष्टगुणेपचेत् ॥ रक्षमात्र गुटिकां कृत्वा खादेद्दिने दिने । कामला पाण्डुरोगार्तः सुखमापद्यतेऽचिरात् ॥ बायबिडंग, नागरमोथा, हरे, बहेड़ा, आमला, देवदारु, पीपल, पीपलामूल, चव्य, चीता, स और मिर्च इनका चूर्ण १ - १ भाग तथा लोह - भम्म सबके बराबर ( १२ भाग ) ले कर सबको एकत्र मिला कर १६ गुने गोमूत्र में पकायें और जब वह गाढ़ा हो जाय तो ११ - १| तोलेकी गुटिका बना लें । इनके सेवन से कामला और पाण्डु शीघ्र नष्ट होता है। ( व्यवहारिक मात्रा - १ माशा । For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy