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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रसप्रकरणम् ] www.kobatirth.org चतुर्थी भागः (७०३१) विडङ्गादिचूर्णम् (१) ( यो. र. । शोफा. ) विडङ्गदन्तीकटुकानिच्चित्रकदारवः । व्योषः सकृष्णा त्रिफला समा देया हायोरजः ॥ द्विगुणं तत्पच्चूर्ण पयसा शोफशान्तये || बायबिडंग, दन्तीमूल, कुटकी, निसोत, चीता, देवदारु, त्रिकुटा, पीपल और त्रिफला १-१ भाग तथा लोहभस्म सबसे दो गुनी ले कर यथा विधि चूर्ण बनावें । इसे दूध के साथ सेवन करने से शोथ नष्ट होता है । ( मात्रा - ३ रत्ती । ) (७०३२) विडङ्गादिचूर्णम् (२) ( व. से. । रसायना. ) विडङ्गासनधात्रीणां चूर्ण लोहरजो घृतम् । एतत्संप्राश्य वृद्धोऽपि तारुण्यमधिगच्छति ॥ बायबिडंग, असना वृक्षकी छाल और आमला; इनका चूर्ण तथा लोह भस्म समान भाग लेकर सबको एकत्र मिला 1 इसे घीके साथ सेवन करने से वृद्ध भी तरुणसमान हो जाता है । ( मात्रा - १ माशा ) (७०३३) विडङ्गादिचूर्णम् (३) ( वृ. मा. ; व. से. । राजय . ) मधुमाया विडङ्गाश्मजतु लोहघृताभयाः । घ्नन्ति यक्ष्माणमत्युग्रं सेव्यमाना हिताशिनः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७६५ बायबिडंगका चूर्ण, शिलाजीत, लोहभस्म और हर का चूर्ण समान भाग ले कर शहद और धीमें मिला कर चाटने से उग्र राजयक्ष्मा भी नष्ट हो जाती है। (७०३४) विडङ्गादियोगः (ग. नि. । सा. रसा. १ ) विडङ्गत्रिफला कृष्णा लोहचूर्णाज्यशर्कराः । क्षौद्राः शीलिता घ्नन्ति वार्धक्यं पलितैः सह ॥ बायबिडंग, हर्र, बहेड़ा, आमला, पीपल और लोह भस्म समान भाग ले कर यथा विधि चूर्ण बनावें । इसे खांड, घी और शहद के साथ सेवन करने से वृद्धता तथा पलितका नाश होता है । (७०३५) विडङ्गादिलौहम् (१) ( रसें. सा. सं. ; धन्व. ; र. चं. । पाण्डुरो. ) विडङ्गत्रिफलाव्योषं शुद्धलौहन्तु तत्समम् । पुरातनगुडेनात्र लेहयेद्दिन सप्तकम् ॥ श्वयथुं नाशयेच्छीघ्रं पाण्डुरोगं हलीमकम् || बायबिडंग, हर्र, बहेड़ा, आमला, सोंठ, मिर्च और पीपल; इनका चूर्ण १ - १ भाग तथा लोहभस्म ७ भाग ले कर सबको एकत्र खरल करें । इसे पुराने गुड़ में मिलाकर सात दिन सेवन करनेसे शोथ, पाण्डु और हलीमकका नाश हो जाता है। ( मात्रा - ३ रत्ती | ) For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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