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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५७३ कषायप्रकरणम् ] चतुर्थों भागः इसमें शहद और मिश्री मिला कर पीनेसे | __ बासा (अडूसा), कटेली, गिलोय, नागरमोथा, इकतरा ज्वर नष्ट होता है। सेठ और आमला समान भाग ले कर क्वाथ (६५१५) वासादिकषायः (१०) । बनावें। (वृ. नि. र. । कफवरा.) __इसमें पीपलका चूर्ण और शहद मिला कर पीनेसे विषमज्वर नष्ट होता है । वासाविशालादशमूलगौरी महौषधं पुष्करभागियुक्ता। (६५१८) वासादिक्वाथः (२) ( यो. त । त. ७०) एषां कषायो विनिहन्ति कासं वासामृतावचाव्याघ्रीपटोलत्रिफलादलैः । कफज्वरं शूलनिवर्त्तनं च ॥ मतिमान्पाययेत्क्याथं सर्वाभिष्यन्दनाशनम् ॥ बासा, इन्द्रायणकी जड़, दशमूल, हल्दी, | वासा, गिलोय, बच, कटेली, पटोल, त्रिफला सोंठ, पोखरमूल और भरंगी समान भाग ले कर | और तेजपातका क्वाथ पीनेसे समस्त नेत्राभिष्यन्द क्वाथ बनावें। नष्ट होते हैं। ___यह क्वाथ खांसी, कफवर और शूलको नष्ट (६५१९) वासादिक्वाथः (३) करता है। ( वृ. यो. त. । त. ९१ ; ग. नि. । वातरक्ता. (६५१६) वासादिकषायः (११) २० ; वृ. मा. ; व, से. ; वृ. नि. र. । (व. से. । अम्लपित्ता. ; रे. र. ; वृ. मा.; वातरक्ता.) च. द. । अम्लपित्ता. ५८) वासागुडूचीचतुरङ्गलानावासामृतापर्पटकनिम्बभूनिम्बमार्कवैः । मेरण्डतैलेन पिवेत्कषायम् । त्रिफलाकुलकैः क्वाथः सक्षौद्रश्चाम्लपित्तहा ॥ क्रमेण सर्वाङ्गजमप्यशेष बासा, गिलोय, पित्तपापड़ा, नीमकी छाल, जयेदमृग्वातभवं विकारम् ॥ चिरायता, भंगरा, त्रिफला और पटोल समान भाग वासा, गिलोय और अमलतासका गूदा समान भाग ले कर क्वाथ बनावें । ले कर क्वाथ बनावें। इसमें अण्डीका तेल मिला कर पीनेसे सर्वाङ्गइसमें शहद मिला कर पीनेसे अम्लपित्त नष्ट में व्याप्त वातरक्तका नाश होता है । होता है। (६५२०) वासादिक्वाथः (४) (६५१७) वासादिक्वाथः (१) (हा. सं. । स्थो. ३ अ. ४२) (यो. चि. म. । अ. ४) वासाविडङ्गपिचुमन्दपटोलपाठा वासाक्षुद्रामृतामुस्ता शुण्ठीधात्री समाक्षिका। शुण्ठीसुरेन्द्रतरुभिर्दशमूलपथ्याः । पिप्पली चूर्णसंयुक्ता विषमज्वरनाशनम् ॥ क्वाथो निहन्ति च मरुत्पभवं च कुष्ठम् For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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